सियासत की नगरी में भक्ति का उत्सव
नई दिल्ली, 13 अप्रैल (आईएएनएस)। नई दिल्ली का नेहरू उद्यान यूं तो सैरगाह के रूप में प्रेमी युगलों की पसंदीदा स्थली है लेकिन आज कल इस उद्यान में भक्ति और श्रद्धा का नजारा दिख रहा है। उद्यान की फिजा और यहां तफरीह करते लोग भक्ति के रंग से सराबोर हैं।
नई दिल्ली, 13 अप्रैल (आईएएनएस)। नई दिल्ली का नेहरू उद्यान यूं तो सैरगाह के रूप में प्रेमी युगलों की पसंदीदा स्थली है लेकिन आज कल इस उद्यान में भक्ति और श्रद्धा का नजारा दिख रहा है। उद्यान की फिजा और यहां तफरीह करते लोग भक्ति के रंग से सराबोर हैं।
पंडित कुमार गंधर्व जैसे देश के महान कलाकारों को समर्पित यह भक्ति-उत्सव दिल्ली सरकार, साहित्य कला परिषद और नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी)के तत्वावधान में आयोजन हो रहा है। इस आयोजन के चलते यह उद्यान इबादतगाह में तब्दील हो चुका है। यहां भक्ति संगीत में निपुण देश-विदेश के कई ख्याति प्राप्त कलाकार इकट्ठा हुए हैं।
इनमें से कोई विद्यापति के पद गा रहा है तो कोई निर्गुण भक्ति का गान करते हुए कबीर के दोहे तो कोई सूफियाना रंग घोले बुल्लेह शाह की काफियां पढ़ रहा है। उद्यान की शाम इबादत के नाम हो गई है। इकट्ठा हुए गायक एक तरफ विद्यापति, कबीर, बुल्लेह शाह की पंक्तियों के सहारे खुदा को बुला रहे हैं तो श्रोतागण इन आवाजों के माध्यम से ही उन्हें याद कर रहा है।
गौरतलब है कि शुक्रवार की शाम दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने दीप प्रज्वलित कर यहां छठे भक्ति महोत्सव का शुभारंभ किया। कार्यक्रम मिथिला (बिहार) में गाए जाने वाले पारंपरिक स्तुतिगान से शुरू हुआ जिसे विपिन कुमार मिश्र और सिद्धार्थ शंकर ने प्रस्तुत किया।
कबीर के दोहे का गान करते हुए पुष्कर लेले ने कहा, "हालांकि निर्गुण भक्ति स्वयं में डूब कर खुद के लिए गाने की चीज है लेकिन मेरे गुरूवर ने इसे पहली बार सार्वजनिक मंच पर गाया था। अब मैं इस परंपरा को आगे बढ़ा रहा हूं।" उन्होंने 'ठगनी हम जानी.. 'और 'भक्तन के भक्तिन वह बैठी' जैसी निगुर्ण भक्ति के पद गाए जबकि पाकिस्तान से आए जावेद बशीर ने बुल्लेह शाह की काफियां प्रस्तुत की।
देश की राजधानी के इस उद्यान में न कोई राजा था न रंक। न कोई मुसलिम था न ही कोई हिन्दू। जैसे-जैसे शाम ढलती गई श्रोतागण भक्ति में डूबते गए। 'बुल्लेया आशिक हों रब दा' जैसी पंक्तियां उन्हें अपने खुदा से रुहानी रिश्ता कायम करने में मदद करती रही।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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