नेपाल में राजशाही समर्थक पार्टियों की हालत खराब
काठमांडू , 13 अप्रैल (आईएएनएस)। नेपाल में गुरुवार को हुए संविधान सभा के चुनावों में राजशाही समर्थक पार्टियों को बुरी हार का सामना करना पड़ा है।
काठमांडू , 13 अप्रैल (आईएएनएस)। नेपाल में गुरुवार को हुए संविधान सभा के चुनावों में राजशाही समर्थक पार्टियों को बुरी हार का सामना करना पड़ा है।
राजा समर्थक सबसे बड़े दल राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी-नेपाल (आरपीपी-एन) ने चुनाव में 207 उम्मीदवार खड़े किए थे। इस पार्टी का कोई भी उम्मीदवार पहले तीन स्थान में भी नहीं आ सका है। पार्टी के प्रमुख कमल थापा जो राजा शासनकाल में 2006 में गृहमंत्री थे, अपने निर्वाचन क्षेत्र मकवानपुर से हार गए हैं।
राजा समर्थक पूर्व प्रधानमंत्री सूर्य बहादुर थापा भी धानकुंटा जिले से चुनाव हार गए हैं। सूर्य बहादुर थापा यहां से इसके पहले हमेशा विजयी होते रहे हैं।
सूर्य बहादुर थापा राष्ट्रीय जनशक्ति पार्टी (आरजेपी) के प्रमुख हैं। थापा को राजा ने 2003 में प्रधानमंत्री नियुक्त किया था।
राजा समर्थक राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) के पशुपति शमशेर जंग बहादुर राना भी सिंधुपालच्वाक जिले में पीछे चल रहे हैं। राना यहां से पिछले तीन चुनावों में विजयी रहे थे।
संविधान सभा के घोषित 71 परिणामों में से आरपीपी-एन, आरजेपी और आरपीपी में से कोई दल एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं कर पाया है।
यहां तक की राजाशाही के मुद्दे पर ऊहापोह में पड़ी प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोइराला की नेपाली कांग्रेस की स्थिति भी काफी निराशाजनक है। उसके तीसरे स्थान पर जाने की संभावना बढ़ती जा रही है। वहीं शुरुआती झटकों से उबर कर वापसी की कोशिश कर रही नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी (यूएमएल) के दूसरे स्थान पर आने की संभावना बढ़ती जा रही है। माओवादी सबसे आगे चल रहे हैं।
कोइराला और राजा को सबसे बड़ा झटका प्रधानमंत्री की पुत्री सुजाता की हार से लगा है जो नेपाली कांग्रेस की गणतंत्र के समर्थन की नीति को नहीं मानकर व्यक्तिगत रूप से संवैधानिक राजशाही के पक्ष में थीं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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