कैलोरी फ्री शूगर के नाम पर मुफ्त मिल रही हैं बीमारियां
लखनऊ, 13 अप्रैल (आईएएनएस)। दावा सौ प्रतिशत शूगर फ्री होने का, लेकिन यह चौंकाने वाला तथ्य है कि कैलोरी मुक्त होने के नाम पर हम जिस चीनी का इस्तेमाल करते हैं वह हमारे शरीर में मिठास के बजाय जहर घोल रही है और हम जाने अनजाने तमाम बीमारियों के शिकार हो रहे हैं।
लखनऊ, 13 अप्रैल (आईएएनएस)। दावा सौ प्रतिशत शूगर फ्री होने का, लेकिन यह चौंकाने वाला तथ्य है कि कैलोरी मुक्त होने के नाम पर हम जिस चीनी का इस्तेमाल करते हैं वह हमारे शरीर में मिठास के बजाय जहर घोल रही है और हम जाने अनजाने तमाम बीमारियों के शिकार हो रहे हैं।
इस बात का खुलासा लखनऊ स्थित भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान के इन्वायरमेंटल न्यूज एंड इंफॉरमेशन सेंटर के प्रभारी डा. फरहत निगार ने आईएएनएस से किया। उन्होंने कहा मधुमेह रोगी मीठे के स्वाद के नाम पर जिस शर्करा का पूरी आजादी के साथ रसास्वादन करते हैं और मोटे लोग कैलोरी फ्री समझ कर इसका आनंद उठा रहे हैं उसमें शर्करा के नाम पर सुक्रोज, सैकरीन, एस्पार्टेम, मेथनाल, साइक्लेमेट ओर एलीटेम जैसे रसायनों का प्रयोग कर रहे हैं।
ऐसे रसायनों के संदर्भ में डा. जाफरी कहती हैं, यह सच है कि यह रसायन शक्कर से सौ गुना अधिक मीठे होने के साथ जीरो कैलोरी होते हैं मगर यह रसायन मनुष्य को सिर दर्द, अनिद्रा, अवसाद और पेट की तमाम बीमारियां देते हैं।
वह इस बात की भी जानकारी देते हैं कि शीतल पेय में भी चीनी से 500 गुना ज्यादा मीठे सुक्रोज का इस्तेमाल कई शीतल पेय बनाने में किया जा रहा है। उनके अनुसार विष विज्ञान के परीक्षण बताते हैं यह 1,6 डाई क्लोरो फ्रक्टोज में विघटित होता है जो जहर का काम करता है।
उन्होंने बताया अमेरिका के मिसीसिपी चिकित्सा विश्वविद्यालय में किए गये विस्तृत शोध में भी इस बात का खुलासा हो चुका है कि शर्करा मुक्त के नाम पर जिस रसायन एस्पार्टेम का प्रयोग होता है वह मानव मस्तिष्क की न्यूरल कोशिकाओं को नष्ट कर देता है। यही नहीं गर्भावस्था में इसका सेवन शिशु को मानसिक विकलांग कर सकता है। साथ ही मिर्गी और अस्थमा जैसी बीमारियां हो जाती हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
**