बाधाओं के बावजूद 200 अरब डालर का निर्यात संभव
नई दिल्ली, 12 अप्रैल (आईएएनएस)। उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री कमलनाथ ने कहा है कि वैश्विक मंदी और रुपये की कीमत में मजबूती जैसी विपरीत परिस्थितियों के बावजूद 200 अरब डालर के निर्यात लक्ष्य को प्राप्त कर लिया जाएगा।
कमलनाथ आज राजधानी में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा 'विदेश व्यापार नीति' पर आयोजित एक बात चर्चा के दौरान उद्योग जगत के प्रतिनिधियों को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा, "वर्ष 2004 में निर्यात लक्ष्य को 200 अरब डालर तक ले जाने के बारे में हम सोच भी नहीं सकते थे। मैं समझता हूं कि नई विदेश व्यापार नीति के तहत दिए गए पैकेज से निर्यात को प्रोत्साहन मिलेगा।"
उन्होंने कहा कि नई योजना में 'फोकस प्रोडक्ट स्कीम' के तहत ऐसे उत्पादों को रियायत दी गई है जिनके निर्यात को प्रोत्साहित करना है। नया निर्यात कार्यक्रम या तो किसी खास उत्पाद या फिर किसी खास देश के लिए होगा।
निर्यात के क्षेत्र में चीन से मिल रही चुनौतियों के बारे में एक सवाल पर कमलनाथ ने कहा कि अब काफी कुछ बदल गया है। "मैं समझता हूं कि लंबी अवधि में चीन की मुद्रा में मजबूती आएगी। इससे उनका निर्यात प्रभावित होगा।
इस मौके पर सीआईआई के अध्यक्ष सुनील भारती मित्तल ने कहा, "लागत खर्च दिन ब दिन बढ़ रहा है। हमारे उत्पाद अंतर्राष्ट्रीय बाजार में महंगे होते जा रहे हैं, लेकिन हम हाथ पर हाथ रख कर बैठे नहीं हैं। हमने सरकार के साथ बात की है। उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री हमारी समस्याओं से वाकिफ हैं।"
इससे पहले वाणिज्य सचिव जी. के. पिल्लई ने कहा कि उद्योग जगत के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती आधारभूत संरचनाओं की कमी है।
यद्यपि, उद्योग जगत के कुछ प्रतिनिधि नई विदेश व्यापार नीति से संतुष्ट नजर नहीं आए। 'इंडियन प्रिंटिंग पैकेजिंग एंड एलीड मशीनरी मैनुफैक्च र्स एसोसिएशन' के महासचिव के.एस. खुराना ने कहा कि लघु उद्योगों की अधिकतम पूंजी सीमा अभी भी मात्र 1.5 करोड़ रुपये है जबकि महंगाई अपने चरम पर है। इसे कम से कम 5 करोड़ रुपये किया जाना चाहिए था।
वहीं विदेश व्यापार के संयुक्त महानिदेशक ए.के. सिंह का कहना था कि सीमेंट जैसी वस्तुओं के घरेलू भाव अंतर्राष्ट्रीय बाजार भाव से ज्यादा हैं ऐसे में कोई क्यों निर्यात करना चाहेगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।