नेपाल चुनाव में माओवादी छाए, प्रचंड समझौते को तैयार (लीड)
काठमांडू, 12 अप्रैल (आईएएनएस)। नेपाल में संविधान सभा के गठन के लिए होने वाले चुनावों में माओवादी अन्य दलों से काफी आगे चल रहे हैं। अब तक के घोषित नतीजों में 36 में 23 सीटों पर माओवादियों की जीत हुई है। इसके अतिरिक्त वह 65 अन्य सीटों पर आगे चल रहे हैं।
काठमांडू, 12 अप्रैल (आईएएनएस)। नेपाल में संविधान सभा के गठन के लिए होने वाले चुनावों में माओवादी अन्य दलों से काफी आगे चल रहे हैं। अब तक के घोषित नतीजों में 36 में 23 सीटों पर माओवादियों की जीत हुई है। इसके अतिरिक्त वह 65 अन्य सीटों पर आगे चल रहे हैं।
प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोईराला की नेपाली कांग्रेस (एनसी) के खाते में अब तक मात्र छह सीटें आई हैं, जबकि नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी-लेनिनवादी (यूएमएल) को चार और नेपाल वर्कस एवं पीपुल्स पार्टी को दो सीटों पर जीत मिली है।
तराई के क्षेत्र से मधेशी जनाधिकार फोरम ने एक सीट पर जीत हासिल की है।
तीन दशकों के अपने राजनीतिक करियर में पहली बार चुनाव लड़ रहे प्रचंड काठमांडू 10 से चुनाव जीत गए हैं। साथ ही वह मध्य-पश्चिमी नेपाल के दूर-दराज इलाके रोल्पा से भी भारी बढ़त बनाए हुए हैं।
उल्लेखनीय है कि रोल्पा माओवादी गतिविधियों का केंद्र भी रहा है।
अपनी जीत के बाद दिए भाषण में माओवादी नेता ने शनिवार को कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को माओवादी जीत के बाद किसी तरह के पशोपेश में नहीं पड़ना चाहिए।
उन्होंने कहा, "हम सब दलों के साथ मिल कर एक नया संविधान लिखेंगे।"
"हम सब दलों के साथ काम करते हुए संविधान लिखे जाने तक सत्तारूढ़ गठबंधन को बनाए रखेंगे।"
प्रचंड के अनुसार प्रमुख जोर देश के विकास और दीर्घकालिक शांति बहाली पर होगा। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में विकास के लिए सब का सहयोग चाहिए।
"हम अपने पड़ोसियों भारत और चीन के साथ और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ अच्छे संबंध स्थापित करना चाहते हैं।"
प्रचंड ने हालांकि राजशाही को किसी किस्म की रियायत देने से इंकार किया और कहा कि एक संघीय गणतंत्र के लिए शांति की जरूरी बुनियाद का निर्माण किया जाएगा।
नेपाल संविधान सभा के चुनाव में हारने वाली हस्तियों में भूतपूर्व उप-प्रधानमंत्री और यूएमएल प्रमुख माधव कुमार नेपाल हैं।
सूचना के अनुसार प्रधानमंत्री की सुपुत्री सुजाता, उनके भाई सुशील और भतीजा शेखर भी तराई के क्षेत्र में अपनी सीटों पर संघर्ष कर रहे हैं।
उधर चुनावों पर नजर रख रहे अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षक, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने माओवादियों की जीत को स्वीकृति दे दी है।
उन्होंने कहा है कि वाशिंगटन को अब माओवादियों के साथ मिल कर कार्य करना चाहिए।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।