उच्चतम न्यायालय ने ओबीसी आरक्षण को रखा बरकरार
नई दिल्ली, 10 अप्रैल (आईएएनएस)। उच्चतम न्यायालय ने केंद्रीय उच्च शिक्षण संस्थानों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा है।
मुख्य न्यायाधीश के. जी. बालाकृष्णन की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक खंडपीठ ने आज अपने आदेश में कहा कि ओबीसी के 'क्रीमी लेयर' के छात्रों को इस आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। खंडपीठ ने केंद्रीय शिक्षण संस्थान (प्रवेश में आरक्षण) कानून, 2006 की वैधता को बरकरार रखते हुए सर्वसम्मति से केंद्रीय उच्च शिक्षण संस्थानों में 27 प्रतिशत आरक्षण को स्वीकार कर लिया। खंडपीठ के अन्य सदस्य थे न्यायमूर्ति अरिजीत पसायत, न्यायमूर्ति सी. के. ठक्कर, न्यायमूर्ति आर. वी. रवींद्रन और न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी।
अदालत ने पांच सौ से अधिक पृष्ठों के अपने फैसले में 93वें संविधान संशोधन कानून, 2005 की वैधता को भी स्वीकार कर लिया।
यद्यपि अदालत ने 93वें संविधान संशोधन कानून के तहत उस सवाल का कोई जवाब नहीं दिया है जिसके तहत सरकार निजी शिक्षण संस्थाओं में ओबीसी छात्रों को आरक्षण के लिए कानून बना सकती है।
एक अलग फैसले में न्यायाधीश भंडारी ने कहा कि संविधान संशोधन कानून का वह भाग अवैध है जिसके तहत सरकार के पास निजी शिक्षण संस्थाओं में आरक्षण के लिए कानून बनाने का अधिकार मिला हुआ है। उन्होंने कहा कि यह संविधान के मूल भावना के खिलाफ है। हालांकि अन्य न्यायधीशों ने इस मसले पर कोई फैसला नहीं दिया और कहा कि उपयुक्त समय पर इस मुद्दे पर विचार किया जाएगा।
अदालत ने कहा कि क्रीमी लेयर की परिभाषा 1993 में मंडल आयोग की रिपोर्ट पर शीर्ष अदालत के फैसले में है। खंडपीठ ने यह भी कहा कि ओबीसी में क्रिमी लेयर के निर्धारण का मापदंड आठ सितंबर 1993 के भारत सरकार का आधिकारिक आदेश होगा।
क्रीमी लेयर में कार्यरत और पूर्व राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्री, मुख्यमंत्री, उच्चतम और उच्च न्यायालय के न्यायधिशों, नौकरशाहों, प्रदोन्नति प्राप्त सैन्य अधिकारियों के बच्चे आते हैं। अदालत ने फैसले में यह भी कहा है कि इस कानून को लागू किए जाने के बाद हर पांच साल पर इसके प्रभाव की समीक्षा की जानी चाहिए।
अदालत के इस फैसले के बाद शैक्षणिक सत्र 2008-09 से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी), भारतीय प्रबंधन संस्थानों (आईआईएम) में आरक्षण लागू हो सकेगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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