क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

धांधली की भेंट चढ़ गया आवासीय ब्रिज कोर्स

By Staff
Google Oneindia News

लखनऊ ,10 अप्रैल (आईएएनएस)। 'गांव बसा नहीं और लुटेरे पहले ही आ गये' जैसी कहावत उत्तर प्रदेश में बच्चों में पढ़ाई के प्रति रुझान पैदा करने के लिये शुरू किये गये आवासीय ब्रिज कोर्स पर पूरी तरह लागू होती है। अभी यह योजना लखनऊ को छोड़ उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों में लागू भी नहीं हो पाई थी कि स्वैच्छिक संगठनों की बेईमानी के चलते पहले ही लड़खड़ा गयी।

लखनऊ में अचानक पड़े छापे से न केवल इस कोर्स के कार्यक्रम की कलई खुल गयी है बल्कि नाराज शासन ने इसे गैर जिम्मेदाराना ढंग से चलाने वाले स्वैच्छिक संगठनों का नाम काली सूची में डाले जाने और उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने का भी निर्णय लिया है।

आवासीय ब्रिज कोर्स उत्तर प्रदेश की वह योजना है जिसके तहत उन गरीब बच्चों को पढ़ाई की सुविधा देने का निर्णय लिया गया था जो पढ़ाई की अहमियत नहीं समझ पाते थे। सरकार ने फैसला किया कि इन बच्चों को इस परिसर में प्रवेश से लेकर किताब, कॉपी और रहने-खाने की सुविधा मुफ्त में दी जाएगी। इसके बाद इन बच्चों को यहां पढ़ाई से जोड़ा की कोशिश होगी। बाद में बेसिक शिक्षा में प्रवेश कराना भी कार्यरत संगठन की जिम्मेदारी होगी।

योजना के तहत कोर्स के लिए सर्व शिक्षा अभियान की ओर सें 1.22 करोड़ रुपये मिले थे जिसमें प्रत्येक केंद्रों को छह माह के संचालन के लिए सरकार की तरफ से 4.08 करोड़ रुपये दिए गए थे। इन कोर्सो को चलाने का जिम्मा जिले की सरकार की नजर में बेहतरीन 30 स्वैच्छिक संगठनों को सौंपा गया था। इनमें 24 केंद्र बुनियादी शिक्षा अधिकारी कार्यालय और छह केंद्र वैकल्पिक शिक्षा एवं साक्षरता केन्द्र को सौंपे गये थे।

प्रत्येक केंद्रों में 60 बच्चों की संख्या को जरुरी माना गया था। इस कोर्स की शुरुआत लखनऊ से की गयी थी और यहां की सफलता के बाद योजना को प्रदेश के अन्य जिलों में भी लागू करने पर विचार चल रहा था। लेकिन अभी इस योजना को लागू हुए तीन महीने भी नहीं बीते होंगे कि यहां चल रही धांधली ने आगे की कवायद पर ही प्रश्नचिन्ह खड़े कर दिए।

मामले का खुलासा हाल ही में उस समय हुआ जब बुनियादी शिक्षा अधिकारियों ने अचानक एक साथ जिले में चल रहे आवासीय ब्रिज कोर्स के केन्द्रों पर छापा मारा। सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि कई सेंटरों पर बच्चों की जगह कुत्ते लोट रहे थे और कई केन्द्रों पर खाने के बर्तन तक मौजूद नहीं थे। इतना ही नहीं कहीं-कहीं केंद्र केवल कागजों पर ही चल रहे थे। अचानक पड़े इस छापे से कई केंद्रों ने आनन-फानन में आसपास के स्कूलों से बच्चे इकट्ठा करने की कोशिश की लेकिन इसके बावजूद बच्चों का तय आंकड़ा नहीं पहुंचा पाए।

यहां की हालत से तमतमाए शासन ने इस तरह से सरकारी धन का दुरुपयोग करने वाले पंद्रह स्वैच्छिक संगठनों को काली सूची में डालने का फैसला किया है। इसके अलावा इन संगठनों के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज कराने के आदेश दिए हैं। बुनियादी शिक्षा अधिकारी राकेश कुमार ने कहा इन संगठनों के खिलाफ जल्द ही कदम उठाया जाएगा।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X