रमेश अपने खून से लिख रहा दुर्गा सप्तसती
रमेश पिछले छह महीनों से प्रति दिन सुबह अपना खून निकालते हैं और श्मशान घाट पर बैठ कर दुर्गा सप्तसती को हिन्दी में कागज पर उतारते हैं। इस जुनून के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, "ऐसा करने के लिए दुर्गाजी ने मुझे सपने में आदेश दिया था।
इसके बाद उन्होंने श्मशान घाट पर रहने वाले बाबा नागेश्वर नाथ से सम्पर्क किया, उसी समय गुरुजी ने कहा कि मां के आदेश का पालन होना चाहिए। इसके बाद पिछले छह महीने से प्रतिदिन मैं अपना खून निकालता हूं और तीन पेज लिखकर ही कोई काम शुरू करता हूं। "
रमेश का भरा पूरा परिवार है। उनकी मिठाई की दुकान है जिससे वह अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। वह 500 से अधिक पेज लिख चुके हैं। रमेश बताते हैं कि संकल्प पूरा होते ही वह अपने खून से ही दुर्गाजी का खप्पर भरेंगे जो संभवत: इस नवरात्री के रामनवमी के दिन भरा जाएगा।
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