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आरक्षण के फैसले से लखनऊ आईआईएम के छात्र निराश

By Staff
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लखनऊ , 10 अप्रैल (आईएएनएस)। अन्य पिछड़ी जातियों (ओबीसी) को केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में 27 फीसदी आरक्षण दिए जाने के उच्चतम न्यायालय के फैसले पर आज 'भारतीय प्रबंधन संस्थान' लखनऊ (आईआईएम) में गहमागहमी का माहौल बना रहा। उच्चतम न्यायालय के इस फैसले से सामान्य श्रेणी के छात्र आहत नजर आये।

उच्चतम न्यायाल का यह फैसला लखनऊ में पढ़ने वाले सामान्य श्रेणी के छात्रों के गले नहीं उतर पा रहा था। संस्थान के द्वितीय वर्ष के छात्र सौरभ ने इस बाबत कहा, "ऐसे फैसलों से प्रतिभाशाली छात्रों का मनोबल टूटेगा। पिछड़े वर्ग के छात्रों की आर्थिक मदद एक अलग बात है लेकिन शैक्षिक प्रतिस्पर्धा के स्तर पर कोई भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए।"

इसी क्रम में आईआईएम में प्रवेश के इच्छुक ज्ञान प्रसाद पांडेय ने कहा, "ऐसे फैसले चोट पहुंचाते हैं। मैं मानता हूं कि दलित वोट बैंक ज्यादा है लेकिन वोटों की राजनीति में प्रतिभाशाली छात्रों और देश के साथ अन्याय सर्वथा अनुचित हैं।" दूसरी तरफ पिछड़े क्र्रीमी लेयर को यह सुविधा नहीं मिलने से कई छात्र-छात्राएं दुखी थे।

बहरहाल इन सब तर्क-वितर्क के बीच भारतीय प्रबंधन संस्थान, लखनऊ (आईआईएम) के निदेशक प्रो. देवी सिंह ने संस्थान में नए सत्र के साथ इस फैसले को लागू करने का फैसला ले लिया है। उन्होंने आईएएनएस से बातचीत में कहा, "हमें इस फैसले की आशंका पहले ही थी लिहाजा हम इसे यहां लागू करने पर पहले ही विचार-विमर्श कर चुके थे।"

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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