नेपाल में संविधान सभा चुनाव से जुड़े कुछ तथ्य
काठमांडू , 10 अप्रैल (आईएएनएस)। संविधान सभा के चुनाव नेपाल के इतिहास में एक मील का पत्थर हैं। नेपाल कई उतार चढ़ावों के बाद गणतंत्र बना है।
नेपाल में सबसे पहले गोरखा राजा पृथ्वी नारायण शाह ने 1769 में साम्राज्य की स्थापना की और एक एकीकृत नेपाल राष्ट्र की नींव डाली।
नेपाल में लोकतंत्र की मांग सबसे पहले 1950 के दशक में उठी। मौजूदा नरेश ज्ञानेंद्र के दादा राजा त्रिभुवन ने एक संविधान सभा के चुनाव का वादा किया लेकिन इसे कभी पूरा नहीं किया।
राजा त्रिभुवन के पुत्र महेंद्र 1955 में राजा बने। महेंद्र ने 1959 में पहले आम चुनाव करवाए। सन 1960 में बी.पी. कोइराला पहले निर्वाचित प्रधानमंत्री बने। लेकिन शीघ्र ही नरेश ने राजनैतिक पार्टियों पर प्रतिबंध लगा दिया और वह निरंकुश शासन करने लगे।
नेपाल में 1990 के दशक में राजा बीरेंद्र के खिलाफ एक जन आंदोलन शुरू हुआ। राजा बीरेंद्र ने अपनी शक्तियां कम कर दी और फलस्वरूप पांचवा संविधान अस्तित्व में आया।
नेपाल में शीघ्र ही 1994 में प्रचंड द्वारा स्थापित कम्युनिस्ट पार्टी आफ नेपाल (माओवादी) एक प्रमुख ताकत के रूप में उभर कर सामने आया। माओवादियों ने 1996 से संविधान सभा के लिए चुनाव की मांग को लेकर जनयुद्ध शुरू कर दिया।
नेपाल के युवराज दीपेंद्र ने 2001 में राजा बीरेंद्र और रानी सहित पूरे परिवार की हत्या करने के बाद खुद को गोली मार ली। इसके बाद राजा बने ज्ञानेंद्र ने सभी शक्तियां अपने हाथ में केंद्रित कर ली और माओवादियों के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी।
नेपाल की राजनीतिक पार्टियों और माओवादियों के बीच समझौते के बाद राजा को अपने कदम पीछे हटाने पड़े। माओवादी अप्रैल 2007 में सरकार में शामिल हुए।
संविधान सभा के चुनाव दो बार टालने पड़े-पहली बार तराई में हुई हिंसा और दूसरी बार माओवादियों द्वारा राजशाही को तुरंत समाप्त करने की मांग के साथ सरकार छोड़ने के कारण।
माओवादियों के लंबे आंदोलन के बाद दिसंबर 2007 में संसद ने नेपाल को गणतंत्र घोषित किया। जनवरी 2008 में सरकार ने संविधान सभा के चुनाव के लिए 10 अप्रैल की तिथि तय की थी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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