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ओबीसी आरक्षण : बिहार-झारखंड में मिली जुली प्रतिक्रिया

By Staff
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पटना, 10 अप्रैल (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पिछड़ी जातियों के उच्च शिक्षण संस्थानों में आरक्षण को सही करार दिए जाने पर बिहार और झारखंड में अध्यापकों और छात्रों ने मिलीजुली प्रतिक्रिया व्यक्त की है। कुछ लोगों ने आरक्षण व्यवस्था को सही माना है, तो कुछ ने इस निर्णय का विरोध किया है।

जमशेदपुर में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के निदेशक ए. के. मिश्रा का कहना है कि यह निर्णय उच्चतम न्यायालय का है। इस आरक्षण व्यवस्था से पिछड़ी जाति के लोगों को उच्च शिक्षा ग्रहण करने में सहूलियत होगी।

धनबाद स्थित इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स के प्रोफेसर प्रमोद पाठक का कहना है कि इस आरक्षण व्यवस्था से संस्थानों में आरक्षित सीटों की संख्या बढ़ेगी। इस कारण कमजोर और काबिल दोनों तरह के छात्र एक ही संस्थान में होंगे जो संस्थान के लिए सही नहीं है। हालांकि उन्होंने आगे यह भी कहा कि अब उच्च शिक्षा भी सभी वगरें के छात्रों को आसानी से मिल पायेगी।

इसी संस्थान के छात्र प्रत्युश कुमार का कहना है कि इस आरक्षण व्यवस्था से ऊंची जाति के काबिल छात्रों को भी अच्छे संस्थानों में जगह नहीं मिल पायेगी।

जमशेदपुर के एनआईटी के प्रोफेसर एन. के. बनर्जी इस फैसले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त करते हैं। उनका कहना है कि यह निर्णय उच्चतम न्यायालय का है। छात्र मनोहर का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट को आरक्षण के मुद्दे पर यह निर्णय पूर्व में ही आ जाना चाहिए था। न्यायालय का यह फैसला पिछड़ी जातियों के छात्रों के लिए वरदान साबित होगा।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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