कभी तेजतर्रार छात्र नेता थी, अब हो गई पागल

By Staff
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लखनऊ, 8 अप्रैलः मायावती और सुषमा स्वराज जैसी नेता बनने का ख्वाब मन में लेकर छात्र राजनीति में उतरी सोना वर्मा के साथ एक जमाने में बंदूकधारी चलते थे। हर वक्त अपनी बात बेबाकी से रखने और छात्रों के हक में लड़ने वाली सोना आजकल गंदे कपड़े पहने विक्षिप्त अवस्था में लखनऊ की सड़कों पर घूम रही है। आज उसका हाल पूछने वाला कोई नहीं है।

सोना वर्मा की कहानी दिल्ली की मॉडल गीतांजलि नागपाल से काफी मिलती-जुलती है। एक जमाने में गीतांजलि को रैंप पर देखने के लिए हजारों की भीड़ उमड़ पड़ती थी लेकिन अचानक फैशन की दुनिया से वह गायब हो गईं और सालों बाद दिल्ली की सड़कों पर विक्षिप्त अवस्था में देखी गई।

लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र नेता शांतनु शर्मा और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स आर्मी के कुछ कार्यकर्ताओं ने पिछले दिनों सोना वर्मा को छत्रपति साहूजी महाराज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के मानसिक रोग विभाग में दाखिल कराया।

कई दिन अस्पताल में गुजारने के बाद भी सोना अभी तक सामान्य नहीं हो पाई थी। वह दिनभर बड़बड़ाती रहती है। फिलहाल उसकी हालत बेहतर बताई जा रही है। हालांकि उसे अस्पताल में भर्ती करवाने वाले पूर्व छात्र नेता शांतनु का कहना है कि केजीएमयू के डाक्टर उसके इलाज में लापरवाही बरत रहे हैं।

उन्होंने बताया कि बलिया में रहने वाले सोना के घर वालों ने भी शुरुआत में उसका हाल चाल लेने में दिलचस्पी नहीं दिखाई लेकिन बाद में बीते रविवार को उनके माता-पिता छत्रपति शाहू जी महाराज चिकित्सा विश्वविद्यालय आये और सोना को अपने साथ बलिया ले गए।

शांतनु शर्मा सोना की इस हालत के पीछे पूर्व कुलपति आर. पी. सिंह द्वारा सोना को विश्वविद्यालय से निष्कासित करके उसके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करने को मुख्य वजह मान रहे हैं।

लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति आर. पी. सिंह और कुलानुशासक ए. एन. सिंह की सहमति के बाद वर्ष 2006 में सोना वर्मा के खिलाफ विभिन्न आपराधिक धाराओं के तहत मामले दर्ज कर जेल भिजवा दिया था। उस समय सोना बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा थी। उधर ए. एन. सिंह ने इन आरोप को गलत बताते हुए कहा कि जो भी विश्वविद्यालय के अनुशासन को तोड़ेगा उसे सजा तो मिलेगी ही।

लखनऊ विश्वविद्यालय की डीन (स्टूडेंट वेलफेयर) निशी पांडे का कहना है कि सोना बहुत झगड़ालू किस्म की लड़की थी और निष्कासन के बाद भी कई बार प्रोफेसरों से लड़ने विश्वविद्यालय परिसर आ जाती थी। बहरहाल लगभग तीन महीने से ज्यादा समय जेल में गुजारने के बाद जब वह बाहर निकली तो कोई उसकी मदद करने को तैयार नहीं था।

इस दौरान बलिया में उसके घर वालों द्वारा तय की गई उसकी शादी भी टूट गई। बुरे दौर में घरवालों ने भी उसे सहारा नहीं दिया। वह सालभर से ज्यादा समय गायब रही। हाल ही में लखनऊ विश्वविद्यालय की इस पूर्व छात्र नेता को लोगों ने लखनऊ की सड़कों पर भटकते हुए पाया।

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