'गूगल अर्थ' से राकेश ने ढूंढा खोया हुआ घर

By Staff
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आगरा 6 अप्रैल: चाचा की निर्दयता से पीड़ित अनाथ बच्चे ने सात साल की छोटी उम्र में घर छोड़ दिया। उत्तर भारत के एक समृद्ध मुस्लिम परिवार ने उसे आसरा दिया।

वह बच्चा राकेश सिंह अब 20 वर्ष का हो गया है और उसने 'गूगल अर्थ' की मदद से आगरा के निकट अपने घर को ढूंढ़ निकाला है। अब वह अपनी संपत्ति को हासिल करने के लिए अदालती लड़ाई लड़ रहा है।

इंटरनेट से अपने लगाव के चलते राकेश ने ताज नगरी से 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अपने गांव किरौली को खोज निकाला है।

राकेश ने आईएएनएस को बताया, "गूगल अर्थ ने मेरे गांव को खोजने में मेरी मदद की। यह सब मेरे लिए एक सपने का सच होने जैसा था। मुझे मेरे गांव का नाम याद था लेकिन भारत में वह कहां है इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी।"

राकेश पिछले कुछ सप्ताह से अपने चाचा से अपना घर और जमीन वापस लेने के लिए दफ्तरों के चक्कर लगा रहा है।

उसने अपने चाचा पर उसे मानसिक रूप से परेशान करने, मारने और पिता की मौत के बाद जान से मारने का प्रयास करने का भी आरोप लगाया है। उसने कहा कि उसकी मां की भी रहस्यमय परिस्थितियों में मौत के लिए जिम्मेदार उसके चाचा ही हैं।

निराश राकेश घर से भागने के बाद रेलवे स्टेशन गया। वहां उसे दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एस. डब्ल्यू हसन मिले। हसन की पत्नी भी शिक्षक हैं। इस दंपति ने राकेश की दुनिया बदल दी। उस यतीम बच्चे को न सिर्फ घर में पनाह दी बल्कि पढ़ाया-लिखाया और उसे बेहतर जिंदगी जीने लायक भी बनाया।

राकेश ने कंप्यूटर में डिप्लोमा किया और इस तकनीक ने उसे ऐसा बांधा कि एक दिन उसने अपने खोये हुए गांव को खोज निकाला।

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