ग्रामीण रोजगार योजना का स्वतंत्र लेखा परीक्षण जरूरी
नई दिल्ली, 6 अप्रैल (आईएएनएस)। कांग्रेस सरकार को अब यह महसूस होने लगा है कि उसकी कई विकास योजनाएं सही निरीक्षण नहीं होने के कारण अपेक्षित परिणाम देने में असफल रही हैं।
नई दिल्ली, 6 अप्रैल (आईएएनएस)। कांग्रेस सरकार को अब यह महसूस होने लगा है कि उसकी कई विकास योजनाएं सही निरीक्षण नहीं होने के कारण अपेक्षित परिणाम देने में असफल रही हैं।
सरकार गैरसरकारी संगठनों की इन योजनाओं की स्वतंत्र एजेंसियों से लेखा परीक्षण कराने की मांग पर गंभीरतापूर्वक विचार कर रही है।
प्रधानमंत्री कार्यालय के सूत्रों के अनुसार सरकार निजी संस्थाओं द्वारा जांच कार्य को लागू करने के लिए प्रयास कर रही है लेकिन अभी इस दिशा में कोई काम नहीं हो पाया है।
कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य वीरप्पा मोइली ने आईएएनएस से कहा, "अगले लोकसभा चुनावों में जाने से पहले सरकार के ग्रामीण रोजगार गारंटी जैसे विकास कार्यक्रमों का सर्वाधिक लाभ प्राप्त करना चाहते हैं।"
ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में व्याप्त भ्रष्टाचार, लोगों में इसके प्रति जागरूकता का अभाव के कारण यह योजना अधिक सफल नहीं हो पाई है।
गौरतलब है कि देश के 604 जिलों में यह योजना लागू है। मौजूदा बजट में इसके लिए 16 अरब रुपये का प्रावधान किया गया है।
राजस्थान में कार्य करने वाली स्वंयसेवी संस्था मजदूर किसान शक्ति संगठन (एमकेएसएस) की मैग्सेसे पुरस्कार विजेता अरूणा राय ने कहा, "सरकार को बाहरी एजेंसियों की तुलना में स्थानीय लोगों द्वारा जांच को प्रोत्साहन देना चाहिए। "
सरकार को आशा है कि ग्रामीण रोजगार योजना की तरह राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन और सूचना का अधिकार अधिनियम अगले लोकसभा चुनावों में उसको वोट पाने में सहायक हो सकते हैं। लेकिन नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग)की रिपोर्ट में ग्रामीण रोजगार योजना में कई गड़बड़ियां पाई गईं हैं। कैग ने राजीव गांधी पेयजल मिशन और कई अन्य योजनाओं में भी त्रुटियां निकाली हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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