नई प्रजातियों के निर्माण पर डार्विन के सिद्धांत की पुष्टि
न्यूयार्क, 6 अप्रैल (आईएएनएस)। अपनी तरह के इकलौते प्रयोग में एक जीव विज्ञानी ने दावा किया है कि उसके हाथ इस बात के पुख्ता प्रमाण लगे हैं कि नई प्रजातियों के निर्माण से संबंधित चार्ल्स डार्विन के विचार सही थे।
डार्विन का मानना था कि कोई भी प्रजाति अपने आस-पास के वातावरण के जितनी जल्दी अनुकूल होती जाती है वह उतनी ही जल्दी नई प्रजातियों में परिवर्तित भी होती है।
ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय के जीव विज्ञानी पैट्रिक नोसिल ने दक्षिणी कैलीफोर्निया में रेंगने वाले कीड़ों पर किए गए एक अध्ययन के बाद निष्कर्ष निकाला कि विभिन्न प्रजातियां अपने चारों ओर के वातावरण को जितना ज्यादा ग्रहण करती हैं उनके अलग-अलग प्रजातियों में बंट जाने की संभावना भी उतनी ही ज्यादा होती है।
रेंगने वाले कीड़े उड़ नहीं सकते और ये पौधों से अपना जीवन यापन करते हैं। अध्ययन में पाया गया कि अलग-अलग प्रकार के पौधों पर रहने वाले कीड़ों का रंग भी उन पौधों जैसा ही हो गया था।
नोसिल ने कहा, "केवल रंग में परिवर्तन जैसी एक विविधता ही नई प्रजाति के निर्माण की प्रक्रिया की शुरुआत कर सकती है।"
नोसिल का अध्ययन 'प्लॉस वन' नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
**