झारखंड में नक्सलियों पर भारी पड़ने लगी है पुलिस
रांची, 5 अप्रैल (आईएएनएस)। वर्ष 2008 झारखंड में पुलिस के लिए अब तक शुभ माना जा रहा है। इस वर्ष अब तक पुलिस और नक्सली सात बार आमने-सामने हुए परंतु हर वक्त पुलिस ही नक्सलियों पर भारी पड़ी।
पहले ज्यादातर मुठभेड़ों में नक्सली ही भारी पड़ते थे। कभी-कभी ही पुलिस नक्सलियों से लोहा ले पाती थी। यह स्थिति इस वर्ष नहीं दिख रही है। यह स्थिति पूर्व में और भयावह हो जाती थी जब नक्सली योजनाबद्ध तरीके से पुलिस पर हमला करते थे।
राज्य के डीजीपी बी. डी. राम कहते हैं कि पुलिस का हौसले बुलंद हैं, हम नक्सलियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। आज आम नागरिकों को भी दिखने लगा है कि पूर्व में नक्सली हमले करते थे, पुलिस सुरक्षात्मक रहती थी। अब पुलिस आक्रमण की स्थिति में दिख रही है। आज पुलिस के पास अत्याधुनिक हथियार है। सूचनातंत्र भी मजबूत हुआ है। राज्य में लगभग सभी थानों और पिकेटों की भी सुरक्षा बढ़ायी गयी हैं।
इस वर्ष एक जनवरी की रात सबसे पहले सिमडेगा की बांसजोड पुलिस नक्सलियों पर हावी हुई। यहां नक्सलियों ने ओपी पर हमला किया था। घंटो मुठभेड़ चली लेकिन अंतिम समय में नक्सली को ही भागना पड़ा। वहीं 11 जनवरी को नक्सल प्रभावित पलामू जिला के बानालात गांव में पुलिस-नक्सली आमने-सामने हुई उस मुठभेड़ में दो नक्सली मारे गये। डीजीपी राम कहते हैं कि यह घटना पुलिस बल का हौसला दर्शाती है।
यही स्थिति गत 8 फरवरी को पारसनाथ पहाड़ में रही। नक्सली चारों तरपफ से मोर्चाबंदी किए हुए थे। पुलिस के जवान उनकी निगाहों में थे बावजूद इसके पुलिस नक्सलीयों पर भारी पड़ी। 13-14 फरवरी की रात जमशेदपुर के डुमरिया में नागरिक सुरक्षा समिति ने जहां एक मुठभेड़ में दो नक्सलियों को मार गिराया वहीं पुलिस ने भी पांच नक्सलियों को अपना निशाना बनाया। इस माह के प्रथम दिन पुलिस को सबसे बड़ी सफलता गढ़वा जिला में मिली।
गढवा के रंका थाना क्षेत्र में मखातू जंगल में नक्सलियों के साथ हुई एक मुठभेड़ में एक महिला समेत आठ नक्सली मौके पर मारे गये। करीब आधे घंटे तक दोनों तरफ से अंधाधुंध फायरिंग हुई वैसे इन सभी मौकों पर झारखंड पुलिस बल को सीआरपीएफ के जवानों का भी बखूबी साथ मिल रहा है। इसी दिन बोकारों जिला के नावाडीह इलाके में नक्सलियों द्वारा सड़क पर लगाये गए 80 लैंड माइन को पुलिस ने बरामद किया।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।