जलवायु परिवर्तन नीति में भारत व चीन की अवश्य भागीदारी हो : आईएमएफ
वाशिंगटन, 5 अप्रैल (आईएएनएस)। जलवायु परिवर्तन पर लिया जाने वाला कोई भी निर्णय राजनीतिक और आर्थिक रूप से तब तक सही साबित नहीं होगा जब तक उसमें भारत, चीन, ब्राजील, और रूस जैसी विशाल और तेजी से तरक्की कर रही अर्थव्यवस्थाओं को शामिल नहीं किया जाएगा।
वाशिंगटन, 5 अप्रैल (आईएएनएस)। जलवायु परिवर्तन पर लिया जाने वाला कोई भी निर्णय राजनीतिक और आर्थिक रूप से तब तक सही साबित नहीं होगा जब तक उसमें भारत, चीन, ब्राजील, और रूस जैसी विशाल और तेजी से तरक्की कर रही अर्थव्यवस्थाओं को शामिल नहीं किया जाएगा।
यह बात अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा कही गई है।
आईएमएफ के शोध निदेशक और आर्थिक सलाहकार सिमॉन जानसन ने कहा, "क्योंकि अगले 50 वर्षो में ग्रीन हाउस गैसों के कुल उत्सर्जन का 70 फीसदी विकासशील देशों से ही होने की संभावना है।"
गौरतलब है कि ग्रीन हाउस गैसों विशेष कर कार्बन डाईऑक्साइड के बढ़ते उत्सर्जन के कारण ही जलवायु में कई परिवर्तन देखे जा रहे हैं। इसीलिए दुनिया भर के देश सन 2012 तक ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम करने के लिए एक बहुपक्षीय योजना पर काम कर रहे हैं। इस विषय में वर्तमान समझौता 2012 में खत्म हो जाएगा।
आईएमएफ की एक शोधार्थी नतालिया तामिरिसा ने कहा, "हमने अभी तक इस पर्वितन से होने वाले नुकसान का आंकलन नहीं किया है लेकिन भारत और बांग्लादेश जैसे देशों में बाढ़ और सूखे के रूप में इसका असर दिख रहा है।"
इस संबंध में विभिन्न देशों को दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि भी उनके द्वारा उत्सर्जन कम करने के लिए बनायी गई नीतियों से ही तय होगी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।