ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाना अधिक चुनौतीपूर्ण : शोध
वाशिंगटन, 3 अप्रैल (आईएएनएस)। दुनियाभर के समाज के विश्वास के विपरीत जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाना वैज्ञानिकों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण बनता जा रहा है।
कोलाराडो विश्वविद्यालय में हुए एक नए शोध में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा नियुक्त की गई जलवायु परिवर्तन पर अंतरसरकारी पैनल (आईपीसीसी) ने ग्रीनहाउस गैस की सबसे बड़ी घटक गैस कार्बन डाइआक्साइड को कमतर आंका है।
शोधकर्ता रोजर पील्की जूनियर के मुताबिक वर्तमान नीतियां ग्रीनहाउस गसों के उत्सर्जन को कम करने में समर्थ नहीं है बल्कि यह तो उल्टी दिशा में जाने की तरह है।
प्रतिष्ठित पत्रिका 'जरनल नेचर' में गुरुवार को प्रकाशित शोध में कहा गया है कि एशिया में तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्थाओं के कारण परम्परागत जीवाश्म ऊर्जा की मांग बढ़ गई है।
नए शोध में आर. के. पचौरी की अध्यक्षता में गठित आईपीसीसी की रिपोर्ट के कुछ निष्कर्षो पर असहमति जताई गई है।
आईपीसीसी की रिपोर्ट के मुताबिक नई तकनीकों के इस्तेमाल के बाद भविष्य में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में नाटकीय कमी आएगी। इस पर नए शोध में कहा गया है कि ग्रीनहाउस गैसों के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार कार्बन डाइआक्साइड पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया है।
इस नए अध्ययन के शोधकर्ता और वायुमंडलीय अनुसंधान के राष्ट्रीय केंद्र (एनसीएआर) के टॉम विगली ने कहा कि कार्बन डाइआक्साइड को स्थिर करना ज्यादा आसान माना गया है पर अन्य विशेषज्ञों का आमतौर पर मानना है कि ऐसा करना भी कम चुनौतीपूर्ण नहीं है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।