भारतीय डॉक्टरों, नर्सो की पश्चिम में भारी मांग
नई दिल्ली, 2 अप्रैल (आईएएनएस)। ब्रिटेन और अमेरिका सहित अनेक विकसित देशों में भारतीय डॉक्टरों और नर्सो की भारी मांग हैं।
योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलुवालिया द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अनेक विकसित देशों में स्वास्थ्यकर्मियों का एक बहुत बड़ा भाग भारतीय मूल के लोगों का है।
रिपोर्ट के अनुसार 2004 में अमेरिका और ब्रिटेन में 4.9 प्रतिशत डॉक्टर भारतीय मूल के थे जबकि ऑस्ट्रेलिया में यह संख्या 4 प्रतिशत थी।
कनाडा के मामले में भारतीय डॉक्टरों का प्रतिशत 2.1 था।
रिपोर्ट के मुताबिक 2002 में ब्रिटेन से 3,392 भारतीय नर्सो को कार्य वीजा मिला था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अनेक देशों को स्वास्थ्य सेवा संबंधी अन्य पेशेवर भी उपलब्ध कराता है जिनमें रेडियोलॉजिस्ट, लैबोरेटरी तकनीशियन, डेंटल हाइजीनिस्ट, फिजियोथेरेपी और मेडिकल पुनर्वासकर्मी प्रमुख हैं।
गौरतलब है कि योजना आयोग ने आगामी वर्षो के लिए स्वास्थ्य सेवा सहित अनेक क्षेत्रों के भिन्न पक्षों में विकास के आकलन के लिए छोटी और दीर्घकालिक योजनाएं बनाने के लिए उच्चस्तरीय दल गठित किया था।
इस उच्चस्तरीय दल के प्रमुख और योजना आयोग के सदस्य (अंतर्राष्ट्रीय वित्त) अनवारुल होडा के अनुसार, "चार प्रमुख अंग्रेजी भाषी देशों में 60 हजार डॉक्टर काम कर रहे हैं जो समूची संख्या के पांच प्रतिशत हैं।"
रिपोर्ट के अनुसार विकसित देशों में भारतीय स्वास्थ्यकर्मियों की यह मजबूत स्थिति इस तथ्य के बाद है कि उन्हें वहां जाकर दोबारा परीक्षा देकर अपनी योग्यता साबित करनी पड़ती है। ऐसा इसलिए क्योंकि वहां भारतीय मेडिकल संस्थानों के प्रमाण पत्रों को मान्यता नहीं है।
उल्लेखनीय है कि भारतीय मेडिकल परिषद भी पश्चिमी देशों के प्रमाणपत्रों को मान्यता नहीं देता है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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