आकाशवाणी लखनऊ के 70 साल
लखनऊ, 2 अप्रैल (आईएएनएस)। आकाशवाणी का लखनऊ केंद्र आज अपना 70 वां स्थापना दिवस मना रहा है। सन् 1938 को स्थापित हुए इस केंद्र से कितने ही साहित्यकारों और संगीतकारों ने अपनी साहित्य और संगीत की यात्रायें शुरू कीं।
अमृतलाल नागर, भगवती चरण वर्मा, उस्ताद बिसमिल्लाह खान, सिद्धेश्वरी देवी, बेगम अख्तर, पंडित रविशंकर, मदनमोहन और जयदेव जैसे कितने ही साहित्यकारों और संगीतकारों का किसी न किसी रूप में केंद्र से जुड़ाव रहा है। उस दौर का शायद ही कोई ऐसा साहित्यकार और संगीतकार होगा जिसकी आवाज यहां दर्ज न हो।
लेकिन टेलीविजन की क्रांति ने रेडियो को पीछे धकेल दिया। बदलते जमाने के साथ कदमताल करके एफएम ने तो अपनी जगह बना ली लेकिन प्रमुख चैनल आज कहीं गुम होता दिख रहा है।
आज वही रेडियो सेट, एफएम रिसीवर और मोबाइल सेट अधिक लोकप्रयि हैं जिसमें एफएम रेडियो होता है।
अपने गरिमामय और सुनहरे इतिहास के बावजूद आकाशवाणी लखनऊ का मुख्य चैनल खासकर शहरी समाज में कहीं न कहीं हाशिए पर नजर आता है। लेकिन आकाशवाणी लखनऊ केंद्र की निदेशक अलका पाठक इस बात को नहीं मानती हैं कि एफएम रेडियो की आंधी में आकाशवाणी दब सी गयी है। हालांकि उनका दावा है कि आज भी हमारे पास ढेरों पत्र आते हैं और 'फोन इन' कार्यक्रमों के फोन लगातार घनघनाते रहते हैं।
उन्होंने बताया कि हमने इस वित्तीय वर्ष में 4 करोड़ 16 लाख रुपये के निर्धारित लक्ष्य से अधिक राजस्व भी हासिल किया है। पाठक के मुताबिक आकाशवाणी लगातार नये कार्यक्रम बना रहा है और कई कार्यक्रम राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत भी हुए हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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