सफलता के लिए लक्ष्य छोटा रखें
नई दिल्ली, 30 मार्च (आईएएनएस)। आधुनिक समाज में उपलब्धि प्राप्त करने का जबर्दस्त दबाव रहता है। इस उपलब्धि में आपके अपने लक्ष्य, दूसरों द्वारा तय लक्ष्य और व्यवस्था - सभी शामिल हैं। क्रिकेट में बल्लेबाज से शतक की उम्मीद, हीरो से हिट फिल्मों की उम्मीद, विद्यार्थियों से प्रतियोगी परीक्षा में अव्वल आने की उम्मीद, नेताओं से चुनाव जीतने की उम्मीद, किसी तकनीकी के सफल होने की उम्मीद - इन सभी उम्मीदों पर खरा उतरना ही उपलब्धि है।
नई दिल्ली, 30 मार्च (आईएएनएस)। आधुनिक समाज में उपलब्धि प्राप्त करने का जबर्दस्त दबाव रहता है। इस उपलब्धि में आपके अपने लक्ष्य, दूसरों द्वारा तय लक्ष्य और व्यवस्था - सभी शामिल हैं। क्रिकेट में बल्लेबाज से शतक की उम्मीद, हीरो से हिट फिल्मों की उम्मीद, विद्यार्थियों से प्रतियोगी परीक्षा में अव्वल आने की उम्मीद, नेताओं से चुनाव जीतने की उम्मीद, किसी तकनीकी के सफल होने की उम्मीद - इन सभी उम्मीदों पर खरा उतरना ही उपलब्धि है।
वे दिन लद गए जब लोग अपनी उपलब्धि के मानक खुद तय किया करते थे। आज ज्यादातर लोगों को तो दूसरों द्वारा तय मानकों के अनुसार स्वयं को ढालना पड़ता है। इसीलिए उपलब्धि प्राप्त करने के लिए अपने लक्ष्यों के साथ-साथ समाज या व्यवस्था की उम्मीदों को भी ध्यान में रखना पड़ता है।
एक बात और, यदि उपलब्धि के लिए लक्ष्य छोटा रखा जाए तो आप सफल हो सकते हैं और अगर लक्ष्य बहुत बड़ा या ऊंचा रखा जाए तो उसे पूरा करने में वर्षो लग सकते हैं। कई बार तो दुनिया में चल रहे तीव्र बदलावों के कारण लक्ष्य ओझल हो जाता है। आप दीर्घकालिक लक्ष्य रख सकते हैं और छोटे-छोटे लक्ष्यों में इसे पूरा कर सकते हैं।
आपने महान व्यक्तियों की जीवनियां भी पढ़ी होंगी, उनकी महान उपलब्धियों के बारे में भी पढ़ा होगा। कंगाल से करोड़पति, फुटपॉथ से महल, रंक से राजा बनने के किस्से भी बहुत सुने होंगे। परंतु अकसर ये किस्से तब लिखे जाते हैं जब आदमी महान बन चुका होता है। उन्हें महान बनाने में जिन घटनाओं, परिस्थितियों का हाथ होता है, अकसर पढ़ना अच्छा लगता है। किंतु आपका वास्तविक जीवन, जिसे आप हर दिन, हर हफ्ते, महीने या साल भर जीते हैं - आपके प्रयासों, भावनाओं व वास्तविकताओं के संदर्भ में एकदम भिन्न होता है। इनमें कैसे निबटा जाए, यही वास्तविक प्रश्न है।
दूसरों से सलाह लें, पर बार-बार नहीं। आपकी परिस्थितियां अपनी हैं। उनसे निबटना आपको ही सीखना होगा। अपने लिए अवसरों को स्वयं तलाशना होगा। हमेशा यह विश्वास रखें कि जीत आपकी ही होगी, भले ही लगे कि आपको दबाया-कुचला जा रहा है।
(प्रभात प्रकाशन से प्रकाशित पुस्तक सफलता के 400 सूत्र से साभार)
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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