बनारस में अपराध की गंगा मार रही हिलोरें
वाराणसी, 30 मार्च (आईएएनएस)। भारत की सांस्कृतिक राजधानी कही जाने वाली काशी में भले ही गंगा में पानी नाममात्र का रह गया हो लेकिन अपराध की गंगा इस समय हिलोरें मार रही है।
सुबह-ए बनारस वाले इस शहर में आजकल सुबह का आगाज गोलियों की तड़तड़ाहट से हो रहा है। शहर में अपराधी मस्त हैं जनता त्रस्त हैं और जिनकों हाथों में शहर के कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी है वे लाचार और बेवस हैं।
अपराधियों का मनोबल इतना बढ़ गया है कि वे अब खाकी वर्दी को भी निशाना बनाने में कोई गुरेज नहीं कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि अधिकारियों को सांप सूंघ गया है।
पिछले मार्च महीने के ही यदि अपराध के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो धर्म की इस नगरी में रंग और गुलाल से ज्यादा खून की होलियां खेली गई हैं। 5 मार्च को पूर्व सभासद मुरारी यादव को अपराधियों ने उनके घर में घुसकर भून डाला, तो 20 मार्च को व्यापारी नरेश अग्रवाल पर बम फेंका गया। 25 मार्च को धर्मेन्द्र मिश्र पर गोलियों की बौछार करके उन्हें मौत की नींद सुला दी गई।
इसके ठीक एक दिन बाद 27 मार्च को अपराधियों ने दुस्साहस करके खाकी वर्दीधारी अरुण मिश्र को सरेआम चौराहे पर गोलियों से छलनी कर दिया। अपराधियों का कारनामा यहीं पर थमा नहीं, 28 मार्च को उस व्यावसायी छोटेलाल गुप्ता को मार डाला गया, जिससे अपराधियों ने पहले ही रंगदारी की मांग की थी, जिसकी सूचना छोटेलाल ने पुलिस को पहले ही दे दी थी। इसके अलावा दो शव बोरे में बरामद हुए। चोरी लूट और छिनैती की तो कोई गिनती ही नहीं है।
ताज्जुब की बात यह है कि अपराध के इस बढ़ते ग्राफ से पुलिस विभाग जरा भी हलकान नहीं है। अभी तक पुलिस एक भी केस वर्क आउट भले ही न कर पाई हो, लेकिन तीन तथाकथित बदमाशों को मुठभेड़ में मारकर अपनी पीठ खुद ही थपथपा रही है और यह लगातार दवा कर रही है कि अपराधियों के मंसूबों को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा।
गौरतलब है कि लूट, हत्या, अपहरण के लिए बनारस पिछले एक वर्षो से काफी चर्चा में रहा है चाहे वकील हों या डाक्टर व्यवसायी हो या आम शहरी अभी एक-एक करके अपराधियों के निशाने पर आते रहे हैं लेकिन पुलिस प्रशासन इन अपराधियों के सामने बौना ही साबित रहा है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।