लोकप्रियता के बावजूद नहीं है बांग्ला कला का बाजार
नई दिल्ली, 30 मार्च (आईएएनएस)। काफी लंबे अरसे बाद पश्चिम बंगाल की कलाकृतियां देश के विभिन्न जगहों पर एक बार फिर से लोकप्रिय हो रही हैं, लेकिन इन कलाकृतियों का बाजार लोकप्रियता के मुकाबले बेहद कमजोर है।
नई दिल्ली, 30 मार्च (आईएएनएस)। काफी लंबे अरसे बाद पश्चिम बंगाल की कलाकृतियां देश के विभिन्न जगहों पर एक बार फिर से लोकप्रिय हो रही हैं, लेकिन इन कलाकृतियों का बाजार लोकप्रियता के मुकाबले बेहद कमजोर है।
दिल्ली और मुंबई में कई जगहों पर कोलकाता के कलाकारों की कलाकृतियां प्रदर्शित हुई। इन प्रदर्शनियों में कलाकृतियों को काफी प्रशंसा मिली, लेकिन लोकप्रियता के बावजूद इन कलाकृतियों का बाजार काफी कमजोर रहा है।
बांग्ला कला क्षेत्र के प्रमुख हस्ती कमल रूस्तमजी ने कहा, "आंकड़ों के अनुसार कला बाजार पर 30 फीसदी नियंत्रण मुंबई का है वहीं दिल्ली का नियंत्रण 60 फीसदी है। बांकी दस फीसदी पर कोलकाता का पांच प्रतिशत और शेष भारत का पांच प्रतिशत नियंत्रण है।"
उन्होंने कहा कि समकालीन कलाकृतियों के क्षेत्र में पश्चिम बंगाल के कलाकारों की आमदनी अन्य जगहों की तुलना में काफी कम है। इसके बावजूद यहां के कलाकारों की कला प्र्दशनी को लोकप्रियता हासिल हो रही है।
पश्चिम बंगाल की कलाकृतियों की एक प्रदर्शनी शुक्रवार को दिल्ली पहुंची। इस प्रदर्शनी में आधुनिक, क्लासिकल और समकालीन कला से जुड़ी कलाकृतियां शामिल थी।
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल का कला से गहरा नाता रहा है। यह कई प्रसिद्ध कला हस्तियां का जन्म स्थली रहा है। कला इतिहासकार इना पुरी ने कहा कि गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर और अबनिन्द्र नाथ टैगोर से ही पश्चिम बंगाल में कला की शुरुआत हुई।
उन्होंने कहा "पश्चिम बंगाल में कला एक अभियान के तौर पर घर-घर तक पहुंची हुई है। इसके साथ ही कला यहां के लोगों के जीवन दर्शन से जुड़ चुका है।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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