कॉमेडी की कसौटी पर खरा नहीं फिल्म वन टू थ्री
नई दिल्ली, 29 मार्च (आईएएनएस)। नए निर्देशक अश्विनी धीर की फिल्म वन टू थ्री देखने से पहले बहुत ज्यादा उम्मीद करके जाना शायद गलत होगा। दरअसल, कुछ खास कॉमेडी फिल्मों ने यहां के दर्शकों की उम्मीदें बढ़ा दी हैं, ऐसे में यह उस पर खरा उतरता नहीं दिखता।
परेश रावल और सुनील शेट्टी का काम नेचुरल लगा लेकिन ऐशा देओल, समीरा रेड्डी, उपेन पटेल और तनीषा के लिए करने को बहुत कुछ नहीं था। इनके मुकाबले तुषार फिर भी बेहतर नजर आए। जाट इंस्पेक्टर की भूमिका में नीतू चंद्रा ने बाजी जरूर मारी है। वहीं डॉन की भूमिका में मुकेश तिवारी और उनके सहयोगियों का भी काम अच्छा था।
कुल मिलाकर फिल्म से बहुत ज्यादा उम्मीदें करना सही नहीं लगता। हालांकि फिल्म कहीं भी बोर नहीं करती। फिल्म का संगीत और सिनेमेटोग्राफी भी ठीक-ठाक है।
वैसे, फिल्म में फूहड़ता ज्यादा है, यहां तक कि बीच-बीच में प्रयोग किए गए बैकग्राउंड संगीत में भी फूहड़ शब्दों का प्रयोग खुलकर किया गया है, जिसे परिवार के साथ बैठकर देखने में थोड़ी झिझक महसूस हो सकती है।
जहां तक फिल्म की कहानी की बात है तो 20 करोड़ के हीरे पाने के लालच में डॉन (मुकेश तिवारी) भटकता रहता है जब उसे मालूम होता है कि उसे मारने के लिए लक्ष्मी नारायण नाम का भाई आने वाला है। अब सारी कॉमेडी एक ही नाम लक्ष्मी नारायण के तीन शख्स (तुषार कपूर, सुनील शेट्टी और परेश रावल) एक ही समय एक ही होटल में पहुंचने के कारण पैदा होती है।
अंत में जब तक सारी बातें साफ होती हैं, हीरे के टुकड़े-टुकड़े हो जाते हैं और सभी के हिस्से में एक-एक टुकड़ा आता है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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