खनन परियोजनाओं के कारण 26 लाख लोग विस्थापित
रांची, 29 मार्च (आईएएनएस)। वर्ष 1950 से 1991 के दौरान देश में विभिन्न खनन परियोजनाओं के कारण लगभग 26 लाख लोग विस्थापित हुए हैं।
विज्ञान और पर्यावरण केंद्र (सीएसई) द्वारा शुक्रवार को जारी एक पुस्तक रिच लैंड पुअर पीपल-इज सस्टनेबल माइनिंग पॉसिबल? के अनुसार विभिन्न खनन परियोजनाओं से मात्र 560,000 लोगों को रोजगार मिला है जबकि 26 लाख लोग विस्थापित हुए।
मीडिया को जारी पुस्तक के कुछ अंशों के अनुसार खनन परियोजनाओं के कारण विस्थापित हुए लोगों में से केवल 25 प्रतिशत का ही पुनर्वास हो पाया है।
पुस्तक के अनुसार 52 प्रतिशत विस्थापित लोग जनजातीय समुदाय से संबंध रखते हैं।
पुस्तक के मुताबिक, "भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में खनन परियोजनाओं के प्रति एक प्रतिशत के योगदान में अन्य तमाम परियोजनाओं की तुलना में तीन से चार गुणा अधिक लोग विस्थापित होते हैं।"
पुस्तक में कहा गया है कि वर्ष 2005-06 में लौह खनिज खनन परियोजना में 7 करोड़ 70 लाख टन पानी का इस्तेमाल किया गया। इतने पाने से 30 लाख से ज्यादा लोगों की रोज की जरूरतों को पूरा किया जा सकता है।
पुस्तक में कहा गया है कि देश के 50 जिलों में खनन के विस्तार की प्रक्रिया जारी है, इनमें से 30 पिछड़े क्षेत्रों में हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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