प्रवासी भारतीय ने उठाया नोबल सम्मानित शोध पर सवाल
न्यूयार्क, 29 मार्च (आईएएनएस)। एक प्रवासी भारतीय वैज्ञानिक जयकृष्ण अम्बती ने 2006 में चिकित्सा के क्षेत्र में नोबल पुरस्कार से नवाजे गए जीन शोध विधि पर सवालिया निशान लगाए हैं।
अमेरिका के केन्टुकी विश्वविद्यालय के अम्बती ने आईएएनएस को जानकारी दी कि 2006 की नोबल पुरस्कृत दवा खराब जीन को नष्ट करने के बजाय रक्त वाहिकाओं के विकास को रोकता है जो ऊतकों की विशाल श्रेणी को नुकसान पहुंचाता है।
अम्बती के शब्दों में, "इस विधि को इसलिए एक बड़ी खोज माना गया था कि आप इसके बाद किसी भी बीमारी का लक्ष्य साध कर दवा ईजाद कर सकते थे।"
परंतु अब इस विधि से अलग, अम्बती का शोध दल जीन साइलेंसिंग हेतु एक अन्य विधि खोजने में सफलता प्राप्त करने के निकट है जिससे रक्तवाहिकाओं को नुकसान नहीं पहुंचेगा।
उनका कहना है कि वह एक या दो वर्ष में यह सफलता प्राप्त कर लेंगे।
अम्बती के शोध दल द्वारा खोजे गए यह नतीजे ब्रिटिश वैज्ञानिक जर्नल नेचर में प्रकाशित हो चुके हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।