मानव अंग व्यापार पर लगाम कसेगा कैडेवर प्रत्यारोपण
लखनऊ , 28 मार्च (आईएएनएस)। मानव अंगों का व्यापार स्वास्थ्य विभाग के लिए एक बड़ी मुसीबत बन चुका है लेकिन अब इस पर लगाम कसने के लिये केन्द्र सरकार अपनी कमर कस चुकी है। इससे निबटने के लिए कैडेवर अंग प्रत्यारोपण को बढ़ावा देने की योजना बनाई गई है।
लखनऊ , 28 मार्च (आईएएनएस)। मानव अंगों का व्यापार स्वास्थ्य विभाग के लिए एक बड़ी मुसीबत बन चुका है लेकिन अब इस पर लगाम कसने के लिये केन्द्र सरकार अपनी कमर कस चुकी है। इससे निबटने के लिए कैडेवर अंग प्रत्यारोपण को बढ़ावा देने की योजना बनाई गई है।
इसके तहत देश भर के प्रमुख शहरों के अस्पतालों में नेटवर्क तैयार किया जा रहा है। इन अस्पतालों में मस्तिष्क मृत्यु वाले मरीजों के अंग लेकर खराब गुर्दा और लिवर वाले मरीजों में प्रत्यारोपित करने का सक्रियता से काम करेगा। पहले चरण में देश के छह शहरों के अस्पतालों का चयन किया गया है जिसमें उत्तर प्रदेश स्थित संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान भी शामिल है। मालूम हो कि कैडेवर प्रत्यारोपण के तहत वह मरीज आते हैं जिनकी मस्तिष्क मृत्यु हो चुकी हो यानी ब्रेन की स्टेम सेल मृत हो चुकी हो।
इस कैडेवर प्रत्यारोपण की सफलता के आधार पर देशभर में इस नेटवर्क का दायरा बढ़ा दिया जायेगा। यूपी स्वास्थ्य विभाग का भी मानना है इस प्रत्यारोपण की गतिविधि को बढ़ावा मिलने से मानव अंग व्यापार को काफी हद तक रोका जा सकेगा।
लखनऊ पीजीआई में इस नेटवर्क से जुड़े लिवर प्रत्यारोपण इकाई के प्रभारी डा. राजन सक्सेना बताते हैं कि शुरुआती दौर में देशभर में छह केन्द्र खोले जा रहे हैं। ये नेटवर्क आपस में जुड़कर काम करेंगे। इसके लिए सभी केन्द्रों पर आर्गन रिट्रीवल एण्ड बैंकिंग आर्गेनाइजेशन का भी गठन किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि जल्द ही आबरे का कार्यालय पीजीआई में भी शुरू कर दिया जायेगा। इसका काम देश भर में जहां प्रत्यारोपण की जरूरत वाले मरीजों की संख्या का हिसाब रखना होगा वही पूरी तत्परता से अस्पतालों में मौजूद कैडेवर को उनके लिए उपलब्ध कराना भी होगा। वह बताते हैं अगर किसी मरीज का अंग प्रत्यारोपण पीजीआई में होना हो और मस्तिष्क मृत्यु वाला मरीज दिल्ली, मुबंई में हो तो आबरे नेटवर्क में अहम भूमिका निभायेगा।
इसके तहत बाकायदा प्रत्यारोपण जरूरत मंदों की सूची भी तैयार की जायेगी और प्रतीक्षा सूची के आधार पर लोगों को प्रत्यारोपण उपलब्ध कराने का दायित्व भी आबरे ही निभायेगा।
सक्सेना ने कहा, "हर साल यहां आईसीयू में पांच से दस मरीज मस्तिष्क मृत्यु वाले होते हैं लेकिन नेटवर्क की कमी के चलते जरूरतमंद लोगों को प्रत्यारोपण की सुविधा नहीं मिल पाती थी। अब ऐसे लोगों को भी नेत्र, गुर्दा और लिवर प्रत्यारोपण की सुविधा भी आसानी से मिल जायेगी। साथ ही मानव अंग व्यापार जैसे घिनौने कृत्य पर रोक भी लगायी जा सकेगी।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
**