गर्भपात के साथ नसबंदी असुरक्षित तरीका
लखनऊ, 28 मार्च (आईएएनएस)। गर्भपात के साथ नसबंदी कराना बेहद असुरक्षित तरीका है मगर जागरूकता के बावजूद उत्तर प्रदेश की पचास फीसदी महिलाएं इस नादानी से बाज नहीं आ रही है। सरकार द्वारा चलायी जा रही जननी सुरक्षा योजना से लाभान्वित महिलायें फिलहाल यही कर रही हैं।
सूत्र बताते हैं कि समझाने के बावजूद खासकर ग्रामीण इलाकों की महिलायें अपनी इस हरकत से बाज नहीं आ रही है जबकि इसके चलते कभी-कभी गंभीर परिणाम भी सामने आ जाते हैं। छत्रपति शाहू जी महाराज चिकित्सा विश्वविद्यालय के क्वीन मैरी महिला एवं बाल, प्रसूति गृह की डाक्टर रेखा सचान ने कहा कि गर्भपात के साथ जो नसबंदी की जाती है उसमें महिला की बीज नली में लैप्रोस्कोपी विधि से छल्ले डाले जाते हैं। इस दौरान खून का स्रोत अधिक होने से महिला की बीज नली में सूजन आ जाती है और जब सूजन खत्म होती है तो अक्सर छल्ला खिसक जाता है।
यहां दिसंबर माह तक एक हजार नसबंदी की गयी है, जिसमें 50 फीसदी एमटीपी के साथ ही हुई है। लखनऊ इंदिरा नगर स्थित बाल एवं महिला प्रसूति की अधीक्षक डाक्टर मधु भी इससे आहत थी उन्होंने कहा, "अभी फरवरी माह में ही एमटीपी के 105 मामले आये जिसमें 59 महिलाओं ने ऐसा ही किया। ये जागरुकता की कमी से ही हो रहा है।"
यही नहीं यहां ऐशबाग स्थित महिला एवं प्रसूति अस्पताल की डाक्टर पी. दुबे ने भी बताया हाल में ही आये 17 ऐसे मामलों में 12 महिलाओं ने यही रुख अख्तियार किया। प्रदेश स्वास्थ्य विभाग के आकड़ें भी बताते है कि केवल राजधानी में ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में 50 प्रतिशत महिलायें यही कदम उठाकर खुद अपने स्वास्थ्य को चुनौती दे रही हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
*