गुजरात दंगों की फिर से जांच का आदेश
न्यायमूर्ति अरिजित पसायत, न्यायमूर्ति पी सदा शिवन और न्यायमूत्रि आफताब आलम ने दंगाइयों को आतंकवाद से भी ज्यादा खतरनाक करार दिया. न्यायालय ने जांच दल को तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा है.
न्यायालय के आदेश पर जिन ग्यारह प्रमुख मामलों की जांच होनी है. उनमें गुलबर्गा सोसाइटी का वह मामला भी शामिल है जिसमें एक कांगेसी सांसद हसन जाफरी और उनके परिवार के सदस्यों को दंगाइयों ने जिंदा जला दिया था.
गुजरात की पुलिस महानिरीक्षक गीता जौहरी जांच दल की संयोजक होंगी और मामले से जुड़े लोगों का बयान दर्ज करने और दोबारा उनके बयानों की जांच का काम करेंगी. न्यायालय ने दंगे से जुडे मामलों की दोबारा जांच का आदेश राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और अन्य द्वारा दायर याचिकाओं पर संग्यान लेने के बाद दिया है.
याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि दंगे से जुड़े ज्यादातर अपराधियों के संघ परिवार से जुड़े होने के कारण स्थानीय पुलिस उन्हें बचाने में लगी है. याचिकाकर्ताओं ने मामले की सुनवाई गुजरात से बाहर कराने की भी अपील की है.