आतंकवादियों की रिहाई से अन्जान आडवाणी

By Staff
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Lal Krishna Advani
नई दिल्ली 24 मार्च: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपप्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी ने पहली बार स्पष्ट रुप से स्वीकारा है कि 1999 के कंधार विमान अपहरण कांड के समय यात्रियों के बदले जम्मू कश्मीर के तीन खूंखार आतंकवादियों को छोडने के फैसले की उन्हें जानकारी नहीं थी.

एक निजी चैनल के साथ कल साक्षात्कार में श्री आडवाणी ने अपनी नई पुस्तक माई कंट्री माई लाईफ पर चर्चा करते हुए कहा कि यात्रियों की सुरक्षित वापसी के लिए जेल में बंद आतंकवादियों को छोडने के विचार से वह कतई खुश नहीं थे. उन्होंने कहा कि सर्वदलीय बैठक में किसी ने भी इस रिहाई का विरोध नहीं किया क्योंकि सबसे बडा मुद्दा यात्रियों को सुरक्षित देश वापस लाना था. उन्होंने कहा कि आतंकवादियों ने उनकी शर्त नहीं माने जाने पर विमान को बम विस्फोट से उडा देने की धमकी दे रखी थी. इस बात की चर्चा श्री आडवाणी ने अपनी पुस्तक में भी की है.

जब उनसे पूछा गया कि आतंकवादियों की रिहाई का फैसला किसका था तो उन्होंने इसे टालते हुए कहा कि यह सवाल श्री जसवंत सिंह से पूछा जाना चाहिए. जब उनसे पूछा गया कि तत्कालीन विदेश मंत्री श्री सिंह का एक ही विमान में आतंकवादियों के साथ जाने देने का फैसला किसका था तो उनका जबाव था कि उस समय श्री सिंह का आतंकवादियों के साथ जाना कोई मुद्दा ही नहीं था बल्कि बंधक बनाए गए लोगों की सुरक्षित वापसी ही अहम सवाल था और इस संबंध में श्री सिंह ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से जरुर ही परामर्श किया होगा.

जैश ए मोहम्मद के प्रमुख समेत तीन खूंखार आतंकवादियों की रिहाई के फैसले से अपने आप को दूर रखते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें पता था कि इस रिहाई से भाजपा और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन .राजग. के भीतर गहरा असंतोष पैदा हो सकता था.

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