बढ़ रही है लेबनान की सड़कों पर बेघर बच्चों की संख्या
बेरुत, 19 मार्च (आईएएनएस)। बेरुत की सड़कों पर एक बात सामान्य रुप से दिखाई देती है। वह है सड़कों के किनारे और लाल-बत्ती चौराहों पर भीख मांगते असहाय बच्चे। ये बच्चे अकसर कार की खिड़कियों के शीशे पोंछते और पेट भर खाने का इंतजार करते नजर आते हैं।
बेरुत, 19 मार्च (आईएएनएस)। बेरुत की सड़कों पर एक बात सामान्य रुप से दिखाई देती है। वह है सड़कों के किनारे और लाल-बत्ती चौराहों पर भीख मांगते असहाय बच्चे। ये बच्चे अकसर कार की खिड़कियों के शीशे पोंछते और पेट भर खाने का इंतजार करते नजर आते हैं।
उन दुर्भाग्यशाली बच्चों में से एक है 10 साल की जीना। जीना के घर की स्थिति ठीक न होने के कारण वह सड़क पर टाफियां बेचती है और अपनी बीमार मां और भाई-बहनों के लिए खाने की व्यवस्था करती है।
सुंदर आंखों वाली जीना कार की खिड़की के पास जाकर रोती हुई कहती हैं, "आप कुछ टाफियां खरीद लें मुझे यह बेचनी हैं जिससे घर के लिए रोटी ले जा सकूं ।"
ये दास्तां सिर्फ जीना की ही नहीं है बल्कि उस जैसे हजारों बच्चों की है जो किसी न किसी मजबूरी के कारण सड़कों पर काम करते हैं। कुछ बच्चे अपराधी गिरोहों के हाथ भी लग जाते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के ख्वाला मत्तार कहते हैं कि दुनिया भर में सड़कों पर भीख मांगने वाले बेघर बच्चों की संख्या बताना कठिन है। अगर कोई उनकी संख्या बताता है तो आपको मूर्ख बना रहा है।
हायर काऊंसिल फॉर चाइल्डहुड के महासचिव ऐलि माइकल ने कहा, "लेबनान में बच्चों की यह समस्या एक बड़ी सामाजिक समस्या के रुप में उभर रही है।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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