जंक फूड जीवन में लगा रहा है जंग
लखनऊ, 19 मार्च (आईएएनएस)। महज तेरह साल का तरुण न केवल शूगर जैसी बीमारी का शिकार है बल्कि हृदय रोगी भी हो चुका है। आज उसके माता-पिता उसे जबरदस्ती व्यायाम का रास्ता दिखा रहे हैं लेकिन उसका थुलथुला शरीर अब साथ नहीं दे पा रहा है।
लखनऊ, 19 मार्च (आईएएनएस)। महज तेरह साल का तरुण न केवल शूगर जैसी बीमारी का शिकार है बल्कि हृदय रोगी भी हो चुका है। आज उसके माता-पिता उसे जबरदस्ती व्यायाम का रास्ता दिखा रहे हैं लेकिन उसका थुलथुला शरीर अब साथ नहीं दे पा रहा है।
ऐसा नहीं कि तरुण हमेशा से ऐसा था। वह भी दुबला-पतला था लेकिन जंक फूड की ललक ने उसे इस कगार पर पहुंचा दिया।
यह हाल बस एक तरुण का नहीं है। इसकी चपेट में ऐसे तमाम बच्चे आ रहे हैं जो जंक फूड संस्कृति के जाल में फंस चुके हैं। इसके स्वाद के चस्के ने नौनिहालों को ऐसी बीमारियां दे दी है जो उम्र की वृद्घावस्था में होती थी।
स्वयं सेवी संस्था होप इनीशिएटिव ने इसी को लेकर पिछले दिनों लखनऊ के चालीस पब्लिक स्कूल में एक स्वास्थ्य सर्वेक्षण कराया था जिसमें 12 फीसदी बच्चों का वजन इसी वजह के चलते मोटापे की श्रेणी में पाया गया था।
इतना ही नहीं संजय गांधी स्नातकोत्तर अनुसंधान संस्थान के एण्डोक्राइनोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डा. सुशील गुप्ता भी कहते हैं कि जंक फूड आने से पिछले दस सालों में मोटापे से ग्रस्त रोगियों की संख्या काफी बढ़ी है।
इनमें केवल बच्चे ही नहीं बल्कि युवा वर्ग भी शामिल है। इसी संस्थान के गैस्ट्रोएंट्रोलाजी विभाग के प्रोफेसर जी़ चौधरी कहते हैं जंक फूड में अत्यधिक काबरेहाइड्रेट, वसा और शर्करा होती है। ऐसे अधिकतर व्यंजन तलकर बनाये जाते है। इनमें पिज्जा, बर्गर, फ्रैंकी, चिप्स, चाकलेट, पेटीज मुख्य रुप से शामिल हैं।
वह कहते हैं इसमें पोशक तत्व तो नगण्य होता है। जिससे यह खाद्य पदार्थ मोटापे को आमंत्रित करते हैं। वह बताते हैं इससे बच्चों का शारीरिक विकास तो प्रभावित होता ही है साथ ही इसमें मौजूद ट्रांस फैटी एसिड मोटापे के साथ व्यक्ति को उच्च रक्तचाप, मधुमेह और हृदय रोगी बना रहे हैं।
यही नहीं इसका चस्का भविष्य में फैटी लीवर डिसीज व बड़ी आंत में कैंसर जैसी बीमारी दे सकता है। वीएलसीसी की डायटीशियन पल्लवी बताती है बर्गर में 150-200, पिज्जा में 300, शीतल पेय में 200 और पेस्ट्री केक में करीब 120 किलो कैलोरी होती है जो आजकल लोगों पर मोटापे के रुप में हावी हो रहा है।
बलरामपुर अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डा. जी. के. सिंह कहते हैं आजकल दस से चौदह साल के बच्चे बड़ी संख्या में मोटापे का शिकार हो अस्पताल के चक्कर काट रहे हैं। इसकी वजह से बच्चों में कुपोषण, आंखों की रोशनी कम हो जाना व आस्टियोआथरेसिस जैसी बीमारियां आम हो गयी हैं।
बहरहाल जंक फूड तेजी से अपना कहर लोगों पर बरपाने लगा है। अस्पतालों में मोटापा ग्रस्त लोगों की बढ़ रही आमद इसी ओर संकेत कर रही है। बच्चे और युवा उन तकलीफों से उत्पीड़ित हो रहे हैं जो कभी बुढ़ापे में शुरू होती थी। प्रो जी. चौधरी कहते हैं कि अभिभावकों को इस मामले में जागरूक होना पड़ेगा अन्यथा उन्हें इसका खामियाजा भुगतते देर नहीं लगेगी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
**