राष्ट्रपति को अब भी 'ही' लिखता है कानून मंत्रालय

By Staff
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Pratibha patil
नई दिल्ली, 18 मार्चः आजाद भारत ने साठ साल बाद देश के सर्वोच्च आसन पर महिला को आसीन कर इतिहास रच दिया लेकिन पुरूषवाचक शब्दावली सरकारी महकमों से नहीं जा रही है.

और तो और देश का कानून मंत्रालय तक इस मामले में बदलने को तैयार नहीं है जो संशोधन और नए विधेयकों में राष्ट्रपति को पुरूषवाचक विशेषण से ही पुकार रहा है.

राज्यसभा में आज कानून मंत्री हंसराज भारद्वाज ने परिसीमन (संशोधन) विधेयक 2008 पेश किया जिसके एक प्रावधान में कहा गया है कि अगर राष्ट्रपति इस बात से संतुष्ट होते हैं कि ऐसी नौबत पैदा हो गयी है जिसमें शांति और व्यवस्था बिगडने से भारत की एकता और अखंडता खतरे में पड़ सकती है तो वह परिसीमन की प्रक्रिया को उस राज्य में स्थगित कर सकते हैं.

अंग्रेजी में उपलब्ध करायी गयी विधेयक की प्रति में राष्ट्रपति को 'ही मेय बाई एन आर्डर' लिखा गया और इसमें 'शी' का विकल्प नहीं रखा गया. अभी यह बात स्पष्ट नहीं है कि क्या राष्ट्रपति को हमेशा पुरूषवाचक नाम से पुकारने की संवैधानिक व्यवस्था है भले ही उस पद पर महिला विराजमान हो.

यह भी स्पष्ट नहीं है कि क्या राष्ट्रपति को स्त्रीवाचक नाम से लिखे जाने के लिए किसी कानूनी संशोधन की आवश्यकता है.

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