उत्तराखंड से उप्र बिजली लाने में फंसा पेंच
लखनऊ, 18 मार्च (आईएएनएस)। उत्तरी भारत में इस समय बिजली को लेकर कोहराम मचा हुआ है। हर राज्य बिजली जुटाने में लगा है और बिजली खरीदने के लिए ऊंची दरों की परवाह नहीं कर रहा है।
उत्तर-प्रदेश पावर कॉरपोरेशन निजी क्षेत्र के जीवीके समूह की अलकनंदा हाइड्रो कंपनी के साथ मिलकर उत्तराखंड के पौढी गढ़वाल में 330 मेगावाट की क्षमता का बिजलीघर बना रहा है, लेकिन इस बिजलीघर से उत्तर-प्रदेश तक बिजली लाने के लिए पारेषण लाइन बनाने की मंजूरी उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन ने अभी तक नहीं दी है। जबकि बिजलीघर का निर्माण तेजी से हो रहा है।
राज्य के बंटवारे के बाद यह प्रस्तावित बिजलीघर यूपी के हिस्से आया। अलकनंदा हाइड्रो से पावर कॉरपोरेशन ने दो साल पहले करार किया और वहां बिजलीघर का निर्माण शुरू हो गया। यहां कुल चार इकाइयां बनेंगी। पहली इकाई दो साल के अंदर और समूचा बिजलीघर 2011 तक बन जाने की संभावना है। उत्पादित बिजली का 12 फीसदी उत्तराखंड को अनिवार्य रूप से मुफ्त देना होगा क्योंकि परियोजना वहां लग रही है।
बिजलीघर तो बन रहा है लेकिन जब पारेषण लाइन ही नहीं बनेगी तो सूबे को बिजली मिलेगी कैसे? लाइन बनाने की मंजूरी देने में उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन के अधिकारी आनाकानी कर रहे हैं।
उ.प्र. पावर कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक अवनीश अवस्थी ने माना कि अगर अभी से पारेषण लाइन बनाने का काम शुरू न हुआ तो आगे परेशानी होगी क्योंकि इसमें वक्त लगेगा।
कॉरपोरेशन के कुछ अधिकारियों को आशंका है कि शायद उत्तराखंड इस बिजलीघर की उत्पादित बिजली से ज्यादा हिस्सा लेने की शर्त पर लाइन बनाने को मंजूरी दे। उधर श्री अवस्थी ने कहा कि मामला बातचीत से सुलझ्झा लिया जाएगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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