संस्कृत में ब्लागिंग से जुड़े हैं विदेशों में भारतीय छात्र
पुणे, 18 मार्च (आईएएनएस)। अमेरिका के अलग-अलग विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे प्रौद्योगिकी कुशल भारतीय छात्र अब एक सूत्र में बंधे हैं। इनके बीच संपर्क स्थापित करने वाली कड़ी है इंटरनेट आधारित संस्कृत की एक पत्रिका।
मैसेच्यूसेट्स इंस्टीट्यूट आफ टेक्न ोलोजी (एमआईटी), यूनिवर्सिटी आफ मैरीलैंड (यूएमडी), कार्नेगी मेलन यूनिवर्सिटी और इस तरह के बहुत से विश्वविद्यालयों के छात्र कैंपस संस्कृतम नेटवर्क (सीएसएन) के बैनर तले संस्कृत की एक आनलाइन पत्रिका निकाल रहे हैं।
पिछले दो सालों में संस्कृ त में ब्लागिंग करने का चलन तेजी से बढ़ा है। यह पत्रिका संस्कृत में ब्लागिंग करने के शौकीनों की ही एक पहल है। इससे भाषा का विकास भी हो रहा है और लोगों में संस्कृत के प्रति जागरुकता भी बढ़ रही है।
स्पीकसंस्कृत डॉट ओआरजी नामक वेबसाइट पर जारी होने वाली इस इंटरनेट पत्रिका का नाम है विश्ववाणी। पत्रिका में अमेरिका विश्वविद्यालयों में विभिन्न विषयों पर अध्ययन कर रहे शोधार्थियों और अध्यापकों के लेख हैं। इसके अलावा पत्रिका में सुभाषितम यानी महापुरूषों के सुवचन और संस्कृ त की पहेलियां भी हैं।
पत्रिका का संपादन करने वाले सौम्या जोएसा और अविनाश वर्ण के अनुसार विश्ववाणी इंटरनेट पर जारी होने वाली संस्कृत की पहली पत्रिका नहीं लेकिन नियमित रूप से इंटरनेट पर उपलब्ध यह एकमात्र पत्रिका है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।