सेना प्रमुख के बचाव में उतरी सैन्य बिरादरी
सैन्य प्रतिष्ठान को इस बात का अफसोस है कि चीन के मामले में जनरल कपूर ने सरकार का सर्वविदित और ज्ञात रूख ही दोहराया था लेकिन जब विपक्ष के नेता जसवंत सिंह ने राज्यसभा में उनके बयानों को गैर जिम्मेदाराना, अवांछित और अधिकारों की सीमा लांघने वाला बताते हुए जनरल कपूर को खरी खोटी सुनायी तो कोई भी सेना प्रमुख के बचाव में नहीं आया.
सेना के पूर्व प्रमुख जनरल वेद प्रकाश मलिक ने खुलकर जनरल कपूर का बचाव करते हुए कहा है कि विपक्ष के नेता को इस तरह सेना प्रमुख को भरे सदन में अपमानित करने का कोई हक नहीं था और वह भी ऐसी सूरत में जबकि दूसरा शख्स अपना पक्ष रखने के लिए सदन में मौजूद नहीं हो.
इस बीच सेना के एक शीर्ष अधिकारी ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर कहा कि जनरल कपूर का विवादित इंटरव्यू टेलीविजन पर प्रसारित होने के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एम के नारायणन ने सेना प्रमुख को खास तौर से फोन किया था और उन्हें बधाई दी थी. अधिकारी ने कहा कि सेना प्रमुखों के सधे हुए इंटरव्यू की तारीफ खुद रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने भी की थी.
जनरल मलिक ने कहा कि विपक्ष का सेना प्रमुख की आलोचना संसद में करना अवांछित है और इससे सेना की छवि को धक्का लगा है. सैन्य बिरादरी को इस बात का भी अफसोस है कि जसवंत सिंह फौज में रहे हैं और उन्होंने सेना के सर्वोच्च पद पर बैठे व्यक्ति पर तोहमतें लगायीं.
चीनी अतिक्रमण के मुद्दे पर सेना प्रमुख को रक्षा मंत्रालय में समर्थन नहीं मिल रहा है. रक्षा सूत्रों ने कहा कि जनरल कपूर ने अपने इंटरव्यू में कुछ ऐसे बयान दिए जिसका हवाला देकर चीन अपना पक्ष मजबूत कर सकता है.
सूत्रों ने कहा कि भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा के समुचित निर्धारण नहीं होने से दोनों देशों की फर्क में सोच होने की बात कई बार दोहरायी जाती रही है लेकिन अगर कोई अधिकारी यह स्वीकार करता है कि चीनी दृष्टिकोण के हिसाब से भारतीय सेना भी अतिक्रमण करती है तो यह बात दूसरे पक्ष को मजबूती देगी.