एडस की तरह ही खतरनाक है हैपेटाईटिस
नयी दिल्ली 08 मार्च.वार्ता. भारत में हैपेटाईटिस बी और सी के लिये कोई सरकारी टीकाकरण तंत्र स्थापित नहीं किये जाने के कारण यह बीमारी एक बडा खतरा बनती जा रही है1 विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को समय रहते लोगों में हैपेटाईटिस के बारे में जागरूकता पैदा करने के साथ ही इसके टीकाकारण को तव्वजों देनी चाहिये क्योंकि इस बीमारी और एचआईवी एड्स में ज्यादा अंतर नहीं है
बाम्बे अस्पताल के डा.दीपक अमरापुरकर ने आज यहां यूनीवार्ता को बताया कि भारत में एक अनुमान के तहत हैपेटाईटिस से संक्रमित व्यक्तियों की संख्या चार करोड के आसपास है1 ज्यादातर मरीज उस अवस्था में अस्पताल का रूख करते है जब बीमारी पूरी तरह फ्ैल चुकी होती है1 हैपेटाईटिस की दवायें मरीज को केवल कुछ समय के लिये जिंदा रख सकती है इसलिये सरकार को पोलिया की तरह हैपेटाईटिस के टीकाकरण सिस्टम की शुरूआत करनी चाहिये1 डा. अमरापुरकर ने बताया कि इस बीमारी को पैदा होने से पहले खत्म करने की जरूरत है1 इसके वास्ते सभी के लिये हैपेटाईटिस की वैक्शीनेशन को प्राथमिकता देनी चाहिये1 उन्होंने बताया कि भारत में हैपेटाईटिस बी ज्यादा पाया जाता है लेकिन इसका इलाज काफ्ी महंगा है1 सरकार दवा कपंनियों को भी सब्सिडी देकर इलाज को सस्ता कर सकती है1 इस बीमारी के संक्रमण का तरीका एचआईवी की तरह ही है लेकिन लोगों को इसका पता ही नहीं है1 एड्स के लिये सरकार ने कई जागरूकता कार्यक्रम चलाये है लेकिन हैपेटाईटिस के लिये अभी तक कुछ ठोस नहीं किया जा सका है
अमरीका के मिशिगन विश्वविद्यालय में स्कूल आफ् मेडिसिन के लीवर विशेषज्ञ डा. हरि कांजीवरम ने बताया कि अमरीका में हैपेटाईटिस से संक्रमित मरीजों की संख्या अपेक्षाकृत कम है लेकिन सरकार ने इस आेर ध्यान दिया है और बडी..बडी स्वास्थ्य बीमा कंपनियोंं ने इसके इलाज के लिये अलग से पालिसी चलाई है1 भारत में हैपेटाईटिस के इलाज का खर्चा देने से बीमा कंपनियां भी कतराती है क्योकि इसका खर्च काफ्ी महंगा है
उन्होंने बताया कि सरकार को विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ मिलकर एक व्यापक स्वास्थ्य योजना बनानी चाहिये1 पिछले कुछ वषो में छोटे एवं गरीब देशों ने भी हैपेटाईटिस की वैक्शीन की योजनायें सफ्लतापूर्वक चलाई है
अंकुर अभिनव जगबीर1614वार्ता