मैने कुछ भी ग़लत नहीं कियाः अंसार बर्नी
बर्नी ने कहा कि मैं कश्मीर सिंह के कारण इस मामले में शामिल नहीं हुआ. मैंने मानवीय दृष्टि से इस मामले को लिया. यदि उसने जासूस होना कबूल कर लिया तो इसका मतलब यह नहीं है कि मैंने कुछ गलत किया.
उन्होंने कहा कि यदि वह जासूस था तो उसे इसकी सजा मिल चुकी है क्योकि वह जेल में 35 साल गुजार चुका है. मैने उसका मामला मानवीय आधार पर लड़ा मानवाधिकार वकील बर्नी ने कहा कि मैं भारत जाने का प्रयास करूगा और मानवीय आधार पर पाकिस्तानी और भारतीय कैदियो की रिहाई के लिए अपने प्रयास जारी रखूगा.
गौरतलब है कि पाकिस्तान की लाहौर जेल में पिछले 35 साल से बंद एक और भारतीय कैदी कश्मीर सिंह रिहा होने के बाद हाल ही में भारत पहुंचा. कश्मीर सिंह को पाकिस्तान से भारत में तस्करी करने के आरोप में 1973 में रावलपिंडी से गिरफ्तार किया गया था.
बाद में जासूसी के आरोप में पिछले 35 सालों से जेल में बंद रखा गया था. इसी आरोप में उसे मौत की सजा भी सुना दी गई थी. सजा से मुक्ति के लिये उसने राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के समक्ष क्षमादान का आवेदन किया था जिसे उन्होंने मानवीय आधार पर स्वीकार कर उसे आरोप से बरी कर दिया था.