महंगाई रोकने में नाकाम रहा संप्रगः आडवाणी
उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि आर्थिक वृद्धि दर ने देश में यदि 20 कुबेर पैदा किये हो लेकिन 30 करोड़ ऐसे भारतीय है जिन्हें दो जून रोटी नसीब नहीं तो क्या ये कहना ठीक होगा कि देश की प्रगति में समाज का हर वर्ग समाविष्ट हो रहा है.
राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के अभिभाषण पर लोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव का समर्थन करते हुये उन्होंने कहा कि देश की प्रगति मे सबको समाविष्ट होना चाहिए न कि केवल चंद लोगों को. सत्तापक्ष के बार-बार के हंगामे और टोका टोकी के बीच लगभग 40 मिनट के अपने वक्तव्य में उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि आम आदमी के नाम पर जीती सरकार ने सबसे ज्यादा तकलीफ आम औरत को पहुंचाई है जिसे महंगाई की मार लगातार झेलनी पड रही है.
उन्होंने रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर बिमल जालान के एक लेख का उल्लेख किया कि देश ने बीस कुबेर तो पैदा किये हैं लेकिन तीस करोड़ लोगों को अभी भी दो जून रोटी नसीब नहीं.
उन्होंने संसद और विधानसभाओं में महिलाओं का एक तिहाई प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किये जाने के लिये सरकार से मूल विधेयक या चुनाव आयोग द्वारा सुझाये गये फार्मूले को लाये जाने का आग्रह भी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से किया. उन्होंने सुझाव दिया कि महिलाओं को राजनीति में प्रतिनिधित्व देने के लिये क्यों नहीं सभी पार्टियां एक निश्चित प्रतिशत तय कर लें.