नेपाल की जीवित देवी ने पद त्यागा

By Staff
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Living Goddess
काठमांडू 2 मार्च: नेपाल में बौद्धों और हिंदुओं द्वारा कुमारी अथवा देवी के रूप में पूजी जाने वाली विवादास्पद किशोरी ने परिवार के अनुरोध के बाद अपना पवित्र पद छोड दिया है. ग्यारह वर्षीय सजनी शाक्या को पारंपरिक मान्यता के कारण करीब नौ वषो तक काठमांडू के पास स्थित भक्तपुर के प्राचीन मंदिर की देवी के रूप में पूजा जाता रहा है.

विशुद्ध रूप से एक धार्मिक देश नेपाल के धार्मिक एवं सांस्कृतिक मामलों को देखने वाले सरकारी ट्रस्ट के वरिष्ठ अधिकारी दीपक पाण्डेय ने कहा अब वह कुमारी अथवा देवी नहीं हैं. उन्होंने कहा कि संजनी के पारिवारिक सदस्य चाहते थे कि वह अपने परिवार के धार्मिक कर्मकांडों को पूरा करे और इसके लिए उन्हें अपना पद छोडकर अपने परिवार के पास जाना पडा.

गौरतलब है कि पिछले वर्ष संजनी उस समय सुखियों में आ गई थी जब उन्होंने प्राचीन प्रथाओं पर बनी एक ब्रिटिश फिल्म को प्रोत्साहित करने के लिए अमरीका की यात्रा की थी. कुछ धार्मिक संस्थाओं ने उनकी इस यात्रा का यह कहकर विरोध किया था कि यह परंपरा के खिलाफ है. उन्होंने इसके साथ ही उन्हें पद से हटाने की भी मांग की थी, हालांकि बाद में उन्होंने अपनी मांग वापस ले ली थी.

कुमारी प्रथा के अनुसार कुमारी के पद के लिए बालिका का चुनाव बौद्ध नेवार परिवार से चुनी जाती है और इसके लिए कठिन सांस्कृतिक प्रक्रिया अपनायी जाती है. इसके बाद चुनी गई बालिका को देवी अथवा कुमारी का दर्जा मिल जाता है. उन्हें देवी काली का अवतार माना जाता है.

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