रक्षा बजट जा रहा है एक लाख करोड़ के पार

By Staff
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p chidambaram
नई दिल्ली, 28 फरवरीः आम बजट में रक्षा क्षेत्र को 8.33 प्रतिशत बढोत्तरी मिलने की सम्भावना है और देश का रक्षा बजट पहली बार एक लाख करोड़ रूपये के आंकडे को पार करने जा रहा है. रक्षा बजट में इस सामान्य बढ़त के बावजूद यह आंकड़ा सकल घरेलू उत्पाद का 2.34 से लेकर 2.50 प्रतिशत ही रहेगा.

पिछले साल वित्त मंत्री ने रक्षा मंत्रालय के लिए 96000 करोड़ रूपये का बजटीय प्रावधान किया था और सूत्रों के अनुसार इसमें 8.33 से लेकर 8.40 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होने की सम्भावना है. इस तरह इस बार का रक्षा बजट एक लाख चार हजार करोड़ रूपये तक पहुंचने की उम्मीद है.

रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने कहा है कि उन्हें बजट में सरकार से रक्षा क्षेत्र को पूर्ण समर्थन मिलने की आशा है. उनका मानना है कि सरकार सामाजिक क्षेत्र को तरजीह दे रही है लेकिन वह इस बात से भी खबरदार है कि आर्थिक प्रगति देश की सुरक्षा और शांति पर निर्भर करती है.

दूसरी ओर यह भी सच है कि रक्षा मंत्रालय पिछले बजट में नए हथियारों और उपकरणों के लिए तय की गयी करीब 42 हजार करोड़ रूपये की राशि को पूरा खर्च नहीं कर पाया है. पिछले कैलेंडर साल के अंत तक करीब 70 प्रतिशत राशि खर्च नहीं हो पायी थी और उसके बाद से सरकार ने ताबड़तोड़ कई बड़े सौदों को अंतिम रूप दिया.

रक्षा मंत्रालय के सामने आने वाले साल में खरीदारी की बड़ी फेहरिस्त है. जिसमें 8000 करोड़ रुपए का टोही विमान सौदा. 12 हजार करोड़ रूपये से अधिक का हावित्जर तोपों का सौदा और एक अरब डॉलर का हेलीकाप्टर सौदा शामिल है. रक्षा क्षेत्र आने वाले पांच साल में एक लाख बीस हजार करोड़ रूपये का सैनिक साजोसामान खरीदने वाला है और शुक्रवार को पेश होने वाले बजट में इसकी झलक दिखायी देगी.

बजट के बाद मंहगाई कम होने की उम्मीद

मंहगाई को लेकर चारों तरफ मचे हाहकार के बावजूद सरकार को आने वाले महीनों में इसके नीचे आने की उम्मीद है.वित्त मंत्री पी चिदम्बरम द्वारा संसद में आज पेश 2007-08 की आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि मुद्रास्फीति की दर को नीचे लाने के लिए वर्ष के दौरान जो नीतिगत उपाय किए गए हैं उन्होंने असर दिखाना शुरु कर दिया है.

इससे उम्मीद है कि आने वाले महीनों में समग्र मुद्रास्फीति की दर नीचे आयेगी. समीक्षा में कहा गया है कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में हाल में की गई बढ़ोतरी से मुद्रास्फीति पर 0.19 प्रतिशत का दबाव पड़ने की संभावना है.

मुद्रास्फीति की दर जो नौ फरवरी को समाप्त हुए सप्ताह में छह माह के उच्च स्तर 4.35 प्रतिशत पर थी. पेट्रोलियम कीमतों में 15 फरवरी की वृद्धि के असर से आने वाले सप्ताहों में इसके साढे चार प्रतिशत से ऊपर निकल जाने की संभावना प्रबलित हो गई है.

समीक्षा के मुताबिक देश में गरीबी के कम होने के साथ ही तेजी से बढ़ रही प्रति व्यक्ति आय बढ़ने के कारण आवश्यक उपयोग की वस्तुओं के साथ-साथ कृषि मूल्य का महत्व बना रहेगा. सरकार का कहना है कि वैश्विक कीमतों का घरेलू कीमतों पर स्पष्ट असर दिखाई पड़ा है.

मंहगाई को रोकने के लिए समीक्षा में कहा गया है कि उत्पादकता बढ़ाकर और फिजूलखर्ची रोक कर आपूर्ति प्रबंधन को बेहतर किया जायेगा. मंहगाई पर काबू के लिए मौद्रिक तथा राजकोषीय समायोजन के उपाय घरेलू आपूर्ति प्रबंधन तथा स्फीतिकारी संभावनाओं को शांति करने के उपाय, वेतनों और कीमतों में वृद्धि के दबावों को कम करने और बढ़ती लागत से उत्पन्न मुद्रास्फीति के असर को नियंत्रण में रखने में महत्वपूर्ण साबित होंगे.

बजट में किसानों के लिए विशेष घोषणा

आवश्यक जिंसों की आसमान छूती कीमतें और कृषि क्षेत्र की धीमी विकास दर के बीच शुक्रवार को पेश होने वाले अगले वित्त वर्ष के आम बजट में कृषि पैदावार में वृद्धि और किसानों के जीवन स्तर में सुधार के लिए सरकार कुछ विशेष घोषणा कर सकती है.

केन्द्र की कांग्रेस नीत गठबंधन सरकार का कार्यकाल तीन वर्ष 10 महीने पूरा हो चुका है और इस वर्ष वित्त मंत्री पी. चिदंबरम मनमोहन सरकार का पाचवां बजट पेश करेंगे. इस वर्ष 10 से भी ज्यादा राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों और अगले साल मई में होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर ऐसा माना जा रहा है कि यह लोक लुभावन बजट ही होगा.

विश्लेषको का मानना है कि बजट में किसानों के लिए विशेष प्रस्तावों की घोषणा हो सकती है. कुछ विश्लेषकों का मानना है कि किसानों को ऋण के क्षेत्र में सीधी सुविधा दी जा सकती है. हो सकता है कि कर्ज के जाल में बुरी तरह से उलझे किसानों के करीब 300 अरब डालर के ऋण की आम माफी की घोषणा हो जाए.

ऐसी भी संभावना है कि किसानो को दिए जाने वाले ऋण की सीमा में वृद्धि हो जाए. किसानों के लिए विशेष व्याज दर की भी घोषणा की जा सकती है. कइयों का तो कहना है कि आवास ऋण से भी सस्ती दर "सात प्रतिशत सलाना" पर किसानों को ऋण देने की घोषणा की जा सकती है. यही नहीं किसानों को ऋण के लिए पात्रता की शर्तो में भी ढील दी जा सकती है.

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