इकोनामिक सर्वेः चाहिए एक और हरित क्रांति
विशेषज्ञों का मानना है कि इस धीमी रफ्तार की वजह देश में भर में सिंचाई के साधनों में कमी, तकनीकी जानकारी का अभाव और खेती के तरीकों और उसकी मार्केटिंग में पिछड़ापन है, जो खास तौर पर देश के पिछड़े क्षेत्रों में बहुतायत से देखने को मिलता है. रिपोर्ट के मुताबिक विश्व बाजार में छाई अनिश्चितता और दुनिया भर में खाद्य पदार्थों, इंधन और खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों को देखते हुए हमारे देश की कीमतों में स्थिरता और आर्थिक निश्चिंतता बहुत कुछ कृषि क्षेत्र के विकास पर निर्भर करती है.
रिपोर्ट में बीते कुछ सालों के दौरान कृषि और संबंधित सेक्टर में विविधता के अभाव को रेखांकित किया गया है. रिपोर्ट में दूसरी हरित क्रांति की जरूरत पर जोर दिया गया है. खास तौर पर सूखा प्रभावित इलाकों में किसानों की आमदनी बढ़ाने पर जोर है. वानिकी और मत्स्य पालन में भी विकास की स्थिति चिंताजनक है.