क्लस्टर बम पर प्रतिबंध संबंधी सम्मेलन शुरू

ज्ञातव्य है कि क्लस्टर बम वास्तव में कई बमों का एक संगठित समूह होता है तथा विमान से फेंके जाने पर मुख्य बम फट कर यह छोटे-छोटे बम एक काफी बड़े क्षेत्रफल में बिखर कर कहर ढाते हैं जिससे शत्रु को अधिकतम विनाश पहुंचाया जा सकता है.
परंतु नीचे बिखरे बमों में एक बड़ी संख्या ऐसे बमों की होती है जो नहीं फटते हैं तथा लंबे समय तक सुप्तावस्था में पड़े रहते हैं. कालांतर में युद्ध की समाप्ति के बाद यह बम जनसामान्य के लिए बेहद घातक सिद्ध होते हैं तथा लंबे समय तक लोगों को नुकसान पहुंचाते हैं.
इन बमों पर प्रतिबंध लगाने के लिए सर्वप्रथम आयरलैंड, न्यूजीलैंड, नार्वे, मैक्सिको, ऑस्ट्रिया, वेटिकन तथा पेरू ने बातचीत प्रारंभ की थी.
इस वार्ता का उद्देश्य इस बात का निर्धारण करना था कि किस प्रकार के क्लस्टर बमों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए तथा किस प्रकार के क्लस्टर बमों का सैन्य बलों द्वारा प्रयोग जारी रखा जाना चाहिए.
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