बाल अपरा धियों की दुर्दशा के प्रति सरकार और पुलिस संवेदनशील बने
नयी दिल्ली. 16 फरवरी. वार्ता. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग .एनसीपीसीआर. ने देश में तणों की दुर्दशा पर आज गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए सरकार. पुलिस और न्यायपालिका के बाल अधिकारों के संरक्षण एवं उनके कल्याण के प्रति और अधिक संवेदनशील होने की आवश्यकता पर बल दिया1 न्यायपालिका. पुलिस एवं राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों के साथ पहले राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए आयोग के अध्यक्ष सांता सिन्हा ने बताया कि अदालतों में किशोरों के खिलाफ पांच हजार से अधिक मुकदमे लंबित हैं जिनमें से ज्यादातर मामले 12 वर्ष से अधिक से चल रहे हैं1 लेकिन केवल यही एक समस्या नहीं है जिसका सामना बाल अपराधियों को करना पड रहा है1 डॉ. सिन्हा ने कहा कि आयोग ने बच्चों से संबंधित राष्ट्रीय नीतियों के क्रियान्वयन की जानकारी हासिल करने के लिए हाल ही में कई राज्यों का दौरा किया था. जिसमें यह पता चला कि अशिक्षित या बीच में ही पढाई छोड देने वाले बच्चों की शिक्षा के लिए कोई भी प्रावधान नहीं किये गए हैं1 उन्होंने कहा ..हमारा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होना चाहिए कि बाल अपराध से संबंधित न्यायिक प्रणाली के तहत सभी बच्चे स्कूलों में जाएं तथा उन्हें उनके परिवारों के पास वापस भेज दिया जाऐ1.. आयोग ने पिछले कुछ महीनों से बाल अपराधियों को मिलने वाले न्याय और बाल अपराध न्याय कानून के क्रियान्वयन के बीच का अंतर जानने के लिए बाल सुधार गृह और न्याय बोर्ड से संबंधित एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति का गठन किया है1 डा. सिंह ने कहा कि उचित शिक्षा के साथ बच्चों के पुनर्वास और उन्हें उत्पीडन से बचाने के लिए विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है1 सुरेश .संजीवप्रेम .1958वार्ता