सरसों और तिल में बडे पैमाने पर चावल छिल्का तेल की मिलावट
नयी दिल्ली 27 जनवरी.वार्ता. सरसों और तिल तेल के ऊंचे भावों को देखते हुए बडे पैमाने पर इनमें चावल छिल्का अखाद्य तेल की मिलावट की जा रही है
स्थानीय बाजार सूतों के अनुसार वर्तमान में सरसों और तिल तेल के भाव काफी ऊंचे बने हुए हैं और इसकी तुलना में चावल छिल्का अखाद्य तेल काफी सस्ता होने के साथ यह आसानी से दोनों तेलों में मिल जाता है . जिसे देखते हुए इसका मिलावट के लिए काफी इस्तेमाल किया जा रहा है
सूत्रों के अनुसार चावल छिल्का खाद्य तेल सरसों तेल की तुलना में काफी गाढा होता है इसलिए इसकी मिलावट नहीं हो पाती .किंतु चावल छिल्का अखाद्य तेल को डी वैक्स की विधि अपनाकर इतना तरल कर दिया जाता है कि इसका आसानी से मिश्रण हो जाता है
सूत्रों के मुताबिक चावल छिल्का अखाद्य तेल को उच्च फ्री फेसिड एसिड विधि से डी वैक्स करने का मुख्यत काम उत्तर प्रदेश के कानपुर . पंजाब के भटिन्डा और हरियाणा के कुक्षेत्र .हिसार .करनाल और पानीपत में बडे स्तर पर किया जा रहा है 1 सरसों तेल में इसकी 30 से 40 प्रतिशत और तिल तेल में करीब आधा मिलाया जा रहा है
कारोबारियों के अनुसार सरसों और तिल तेल को खाने में इस्तेमाल का स्वास्थ्य पर कोई असर नहीं होता . किंतु चावल छिल्का अखाद्य तेल को डी वैक्स करने में जिन रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है . वह शरीर के लिए काफी हानिकारक होते हैं
वर्तमान में बाजार में मिल डिलीवरी खाद्य तेलों में सरसों तेल का भाव 5600 पए और तिल तेल 7400 पए प्रति क्विंटल के आसपास हैं जबकि चावल छिल्का अखाद्य तेल 3800 पए प्रति क्विंटल है 1 सूत्रों के अनुसार इसे डी वैक्स करने पर पांच सौ पए प्रति क्विंटल का खर्च आता है 1 इस प्रकार मिलावट करने वाले मोटी कमाई करने में जुटे हुए हैं
गौरतलब है कि 1998 में सरसों तेल में मिलावट के चलते ड्राप्सी जैसी खतरनाक बीमारी से कुछ लोंगो को जान गंवानी पडी थी और इस बीमारी से हरियाणा .उत्तर प्रदेश और दिल्ली में बडी संख्या में लोग प्रभावित भी हुये थे
मिश्रा.सत्या.प्रभु 1550वार्ता