पोकरण एक बार फिर होगा सुर्खियों में
जोधपुर, 24 जनवरीः राजस्थान का पोकरण क्षेत्र का नाम एक बार फिर मार्च. 2008 से दुनिया भर में सुखियों में होगा. जब भारतीय सेनाओं के बड़े युद्धाभ्यास में एक सौ से अधिक देश इसके साक्षी बनेंगे.
प्रतिरक्षा सूत्रों के अनुसार इससे पूर्व जैसलमेर जिले का पोकरण क्षेत्र विश्व में परमाणु परीक्षण के लिये जाना जाता रहा हैं, लेकिन अब भारतीय थल सेना एवं वायुसेना के सबसे बड़े संयुक्त युद्धाभ्यास से फिर विश्व स्तर पर सुर्खियों में आ जायेगा.
इसमें भारत अपनी सैन्य ताकत का विश्व स्तर पर प्रदर्शन करेगा. भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान एवं बंगलादेश सहित करीब 100 देशों के 150 से अधिक पर्यवेक्षक इसे देखने के लिये पोकरण आएगें. सूत्रों के अनुसार हालांकि इस युद्धाभ्यास के लिये अभी तक अंतिम निर्णय नहीं हो पाया हैं लेकिन यह मार्च के प्रथम सप्ताह में शुरु हो जायेगा तथा इसमें करीब दो सप्ताह तक चलने की संभावना है.
इस युद्धाभ्यास में थलसेना की दक्षिण कमान एवं वायुसेना की दक्षिण पश्चिम कमान भाग लेगी तथा इन दोनों कमानों के करीब 30 से 40 हजार सैनिक अपने जंगी साजो सामान के साथ युद्धाभ्यास में हिस्सा लेंगे. सूत्रों के अनुसार इस युद्धाभ्यास को "ब्रेजन चैरिएटस-निर्भीक रथ" नाम दिया गया हैं. यह नाम उस पुस्तक का हैं जो द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान वर्ष 1941 में उत्तरी अफ्रीका एवं मिस्र की सीमा पर हुये भयंकर टैंक युद्ध के बारे में विस्तृत वर्णन किया गया हैं.
सूत्रों ने बताया कि अब तक नब्बे के दशक में राजस्थान एवं पंजाब सीमा पर हुये गगन प्रहार नामक युद्धाभ्यास सबसे बड़ा सैन्य अभ्यास माना जाता हैं. लेकिन निर्भीक रथ इससे कहीं बड़ा होगा.
सूत्रों ने बताया कि इस युद्धाभ्यास में हाल ही में विकसित रक्षा प्रणालियों, नये हथियार, उपकरणों, लेजर गाइडेड मिसाइल, एंटी टैंक मिसाइल, टी 90 टैंक, हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलें व अन्य आग्नेय शस्त्रों को परखा जायेगा. इसी तरह भारतीय वायुसेना के जांबाज अचूक निशाना साधकर दुश्मन के काल्पनिक ठिकानों को नष्ट करेंगे.
सूत्रों ने बताया कि इस शक्ति प्रदर्शन में सुखोई 30, मिराज 2000, मिग 27, अपग्रेडेड 27, मिग 21 कई लडाकू हेलीकॉप्टर आदि भाग लेकर सेना के साथ आपसी तालमेल से एक काल्पनिक युद्ध जीतने का नजारा प्रस्तुत करेंगे.
सूत्रों ने बताया कि इस सैन्य प्रदर्शन में प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, डेढ सौ से ज्यादा मित्र देशों के रक्षा अटेची, कई उच्च सैन्यधिकारी व अन्य विशिष्ट व्यक्तियों के भाग लेने की संभावना हैं. इस युद्धाभ्यास के लिये दक्षिणी कमान व पश्चिमी कमान की सेनाओं का फरवरी में मूवमेंट शुरु हो जायेगा.