राजनीति आडवाणी पाकिस्तान दो अंतिम नयी दिल्ली
श्री आडवाणी ने कहा कि पाकिस्तान के ताजा घटनाक्रम से हमें इस पहलु पर गौर करने के लिये बाध्य होना पडेगा कि किस तरह से दुनियां में अपने हितों को सवोपरि बनाये रखने के लिये अंतरराष्ट्रीय संबंधों में लोकतंत्र के साथ जोड तोड की जा रही है1 उन्होंने कहा कि यह सभी को मालूम है कि असहिष्णुता और उग्र धार्मिक विचार धाराओं का एशिया के कुछ देशों में निर्यात किया जा रहा है जो लोकतंत्र से कोसों दूर हैं
उन्होंने कहा कि ऐसे तत्वों को उन देशों द्वारा सहन किया जा रहा है जो अपने को दुनियां में आजादी और लोकतंत्र का मसीहा बताते फिरते हैं1उन्होंने कहा कि जो कोई भी इस अवधारण को लेकर चल रहे हैं उन्हें आगे चलकर इसकी भारी कीमत चुकानी पडेगी
भारत चीन के संबंधों के बारे में श्री आडवाणी ने कहा कि दोनो देशों को आपसी संबंधों में तेजी से सुधार करना चाहिये क्योंकि आने वाले समय में वे एक बडी आर्थिक और औद्योगिक ताकतों के रूप में अहम भूमिका निभाने में सक्षम हैं1उन्होंने कहा कि 1779 में तत्कालीन विदेश मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने दोनो देशों के बीच 17 वषो टूटे संवाद को फिर से कायम किया1पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बाद श्री वाजपेयी जब प्रधानमंत्री बने तो दोनो देशों के बीच बातचीत के लिये स्थाई तंत्र बना 1उन्हें भरोसा है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की चीन यात्रा से दोनो देशों के रिश्ते और बेहतर होंगे
उपाध्याय समरेंनद्र लखमी185
वार्ता