कांग्रेस के हाथ तुरूप का पत्ता
नई दिल्ली, 14 जनवरीः कांग्रेस के युवा महासचिव राहुल गांधी की 17 जनवरी को झांसी में होने वाली सूखा राहत रैली के पृथक बुन्देलखण्ड राज्य के गठन की मांग पर केन्द्रित होने की संभावना है.
दक्षिणी उत्तर प्रदेश के सात और उत्तरी मध्य प्रदेश के करीब एक दर्जन जिलों को मिला कर पृथक बुन्देलखण्ड राज्य बनाने की मांग यूं तो दशकों पुरानी है लेकिन पिछले चार वर्षो से पड़ रहे भयंकर सूखे की मार और इलाके के ग्रामीण इलाकों में 65 से अस्सी प्रतिशत लोगों के पलायन ने बुन्देलखण्ड राज्य की मांग को संजीवनी देकर प्रमुख राष्ट्रीय मुद्दा बना दिया है.
उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने पिछले वर्ष लखनऊ में आयोजित रैली में यह कह कर सुगबुगाहट छोड़ी थी कि यदि केन्द्र सरकार प्रस्ताव करें तो वह विधानसभा से बुन्देलखण्ड, हरित प्रदेश और पूवांचल को पृथक राज्य बनाने का प्रस्ताव पारित कराने को तैयार है.
इसपर राजनीतिक मुद्दों की तलाश में बैठी कांग्रेस ने मौका पहचान कर बुन्देलखंड पर ध्यान केन्द्रित कर दिया. पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई की अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी ने इलाके का सघन दौरा करके आंकड़े एकत्र करने शुरु कर दिये. शह मात का खेल समझ कर मायावती ने भी बुंदेलखण्ड के लिए केन्द्र सरकार से 4700 करोड़ रुपये का भारी भरकम पैकेज मांग कर कांग्रेस का मुंह बुद कर दिया.
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना तथा 8 अन्य तमाम योजनाओं में भ्रष्टाचार के प्रमाणों का पिटारा बनाने के बाद कांग्रेस ने बहुजन समाज पार्टी सरकार पर सुनियोजित ढंग से राजनीतिक हमला बोल दिया. यहीं नहीं कांग्रेस ने बुन्देलखण्ड को उत्तर प्रदेश में पार्टी के पुनर्जीवन के फार्मूला में बदलने की भी तैयारी शुरु कर दी.
इसी क्रम में कांग्रेस ने तुरुप का पत्ता चलते हुए गांधी के नेतृत्व में झांसी में सूखा राहत रैली का आयोजन किया है. सत्रह जनवरी को रैली के पहले राहुल गांधी के बुन्देलखण्ड के कुछ गांवों के दौरे का भी कार्यक्रम है. इस दौरान गांधी न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि पड़ोसी मध्य प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र से आने वाले तमाम कांग्रेसी नेताओं और कार्यकर्ताओं से भी मुलाकात करेंगे जहां उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड जैसे ही हालात है.