आडवाणी की मांग पर बंटे संविधानविद्

By Staff
Google Oneindia News

lk-advaniनई दिल्ली, 12 जनवरीः गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिया जाने वाला भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न पिछले सात सालों से किसी हस्ती को नहीं दिया गया है. अब भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार लालकृष्ण आडवाणी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को यह सम्मान देने की सार्वजनिक मांग करके एक नया विवाद खड़ा कर दिया है.

इससे संविधानविद् भी दो खेमों में बंट गए हैं. एक का कहना है कि आडवाणी ने राजनीति और प्रचार के लिए यह सार्वजनिक मांग करके वाजपेयी को ही शर्मसार कर दिया है. जबकि दूसरे खेमे का कहना है कि विपक्ष के नेता द्वारा ऐसा किए जाने में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है.

संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप का कहना है कि भारत रत्न सहित कोई भी पद्म पुरस्कार किसी खास व्यक्ति को दिए जाने के बारे में हर भारतीय को अपनी राय देने का अधिकार है. उसे मानना या नहीं मानना गृह मंत्रालय की संबंधित चयन समिति का हक है.

उन्होंने कहा कि आडवाणी ने वाजपेयी को भारत रत्न देने की मांग करके कुछ भी गलत या नियम विरूद्ध नहीं किया है. इसमें दो राय नहीं हो सकती कि वाजपेयी एक कद्दावर नेता हैं और भारत रत्न के लिए उनका नाम सुझाए जाने में एतराज़ की कोई बात नहीं है.

यह कोई मुद्दा नहीं है कि यह मांग सार्वजनिक रूप से की गई या गोपनीय ढंग से. दूसरी ओर शशि भूषण का मानना है कि आडवाणी ने सार्वजनिक रूप से यह मांग करके राजनीति और पब्लिसिटी स्टंट का खेल खेला है. वाजपेयी का विशिष्ट व्यक्तित्व है और वे इस सम्मान के हकदार हो सकते हैं लेकिन उनके नाम की सार्वजनिक मांग करके आडवाणी ने उन्हें विवाद के घेरे में डाल दिया है.

देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X