लोकरूचि. एम के रैना दो अंतिम नयी दिल्ली..
ना दो अंतिम नयी दिल्ली.. कबीरा खडा बाजार में .कभी न छाडै खेत. लोअर डैप्थ्स जैसे मशहूर नाटकों का निर्देशन कर चुके श्री रैना ने रंगमंच की वर्तमान स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुये कहा कि बढती महंगाई की वजह से रंगमंच का बजट सिकुडता जा रहा है और अच्छे कलाकारों की संख्या भी कम होती जा रही है1 इसलिये सरकार को चाहिये कि रंगमंच के लिये आबंटित बजट केा बढाये1 दूसरे इस कला को जीवनदान देने के लिये सरकार को स्कूलों में रंगमंच को बढावा देना होगा
सौ से अधिक नाटकों की प्रस्तुति कर चुके श्री रैना ने कहा कि दरअसल रंगमंच लोकतंत्र की बुनियादी शतो मेंं से एक है1 लोकतंत्र तभी जीवित रह सकता है जब लोगोे को अपनी बात कहने की आजादी हो1 रंगमंच के सामने समस्या आज बने रहने की है और सरकार को इसमें सहयोग करना होगा ताकि जनतंत्र की जडे मजबूत हेा सकें1 उन्होंने कहा कि अच्छी किताबों के लिये अच्छे पुस्तकालय की भी जरूरत होती है1 इसलिये रंगमंच को बचाने के लिये इसका आधारभूत ढांचा खडा करने में सरकार को अपनी भूमिका का निर्वहन करना चाहिये
श्री रैना ने कहा कि सरकार को चाहिये कि हर राज्य की राजधानी मे कलाभवन बनाये और हर जिले में एक रंगमंच की सुविधा मुहैया कराये एवं ऐसे रंगमंचों में बच्चों के लिये भी सहूलियत हो जिससे उनमें भी रंगमंच को लेकर दृष्टि विकसित हो सके
श्री रैना ने मीडिया से भी अपील की वह रंगमंच को लेकर और मुखर हो1 आज अभिव्यक्ति की आजादी पर चौतरफ्ा हमले हो रहें है1 एम एफ् हुसैन जैसे कलाकारों को देश छोडना पडा है इसलिये संकट की इस घडी में मीडिया को और सक्रिय भूमिका निभानी पडेगी
शोभित बिष्ट समरेन्द्र जगबीर1436वार्ता